Monday, December 27, 2010

May Be....!


I don't know what to say
Or even what to do
All I no is that
I think I'm in love with you
Every time I hold you close

Or put your hand in mine
I feel like just maybe
I won't let go this time
I know that you don't see it
But it's a feeling all so new
I don't know what's happening
But I think I'm in love with you
I want to tell you how I feel
To let you no It's true
That maybe just maybe
I'm in love with you
This may sound crazy I know
But I needed to let it out
Because there is something there
I know without a doubt
So stop treating me like a toy
I'm a person too
I need you to realize my feelings
I think I'm in love with you

Saturday, December 25, 2010

तेरी याद के साथ ....!!!!!


एक और शाम ढल गयी,तेरी याद के साथ
ज़िन्दगी यु ही गुजर गयी,तेरी याद के साथ

एक आरज़ू थी… तुझे अपना बनाने की
वो चाहत भी मर गयी, तेरी याद के साथ

रुसवाइयों से ज्यादा तुने और क्या दिया मुझे
पर ये शिकायत भी बिसर गयी, तेरी याद के साथ

तेरी ख़ुशी थी अपनी…क्या ये गलत तो नहीं
वो ख़ुशी भी आखिर गयी, तेरी याद के साथ

जिंदा थे कभी तेरी याद के सहारे, मगर
ज़िन्दगी बेरुखी कर गयी, तेरी याद के साथ

Friday, December 24, 2010

वोह .. कभी था मेरा.. !!!!


मेरी चाहत था वो

मेरी आन भी था वो ,

मेरे खामोश लहजों की वो इक सदा भी था ,

रहता था सुबह - ओ - शाम वो मेरे वजूद में,

मेरी आवाज़ ... मेरा लहजा ... वो मेरी अदा भी था …

देता था मुझको ज़ख़्म वो बे-हिसाब मगर,

हमदर्द भी था मेरा वो मेरी वफ़ा भी था ,

अब उस के ज़िक्र पर अक्सर में खामोश रहती हूँ ,

कभी मेरी महोब्बत का चाँद था वो
पलक

Wednesday, December 22, 2010

बिखरे लम्हात .....!


तेरा हाथ थामे चले थे हम
जब जिंदगी की राह में
आज पूछता है दिल मेरा मुझसे
वो लम्हे हसीं किधर गये


वो मुस्कुराती हुए जिंदगी हर पल
और हसीं ख्वाब थे आँखों में
आज पूछते हैं खुद से हम की
वो रात दिन किधर गए

कभी एक पल भी इक दूजे से होके
जुदा जी ना पाते थे हम
आज जाने कैसे ये दिन ये साल
मेरे तेरे बिन गुजेर गए

जाने वो पल किधर गए ....

अब

कैसे बीते

कैसे जिए

कहा गए ....
क्या करे ये सोच कर
बस ये तो सिर्फ
जाने मेरा रब

जिसके हाथों छुटी मेरे सांसो की डोर ......

Tuesday, November 16, 2010

तेरी मेरी बाते ....


तेरी और मेरी गुफ़्तगु हमारे बीच हि तो थि
तो भी पुरी दुनिया हमारे बीच थि
हम कहा कभी एकान्त मै मिले
तो भी कैसे ये अफ़्वाये हमारे बीच थि
हम एक साथ जिए हर साँस

तब भी एकदूसरे की प्रतीक्षा हमारे बीच थी

हमें तोह सिर्फ ओस की बूंदों मै भीगना था

तब भी समंदर की तमन्ना हमारे बीच थी

याद कर वो पवित्र पाप का एक एक पल

कैसी पूनम की चाँद की चांदनी हमारे बीच थी

एक एक पल दे गया अब वनवास सदीओ का खालीपन

क्या करू

एक पल के लिए मंथरा हमारे बीच थी .....






Sunday, October 24, 2010

सोचते है तुम्हे ........


अक्सर सोचा करते है, तुम्हे
सुबह-शाम .... सोते - जागते
डायरी को शब्दों से भरते
कभी....किसी किताब के
पन्नो को पलटते - पलटते
उड़ती नीली-पीली पतंगों के
धागों से उलझते हो, सोच में
सोचते है ...क्यों सोचते है सोचते
जंगली कंटीले बेंगनी फूलो से
अक्सर चुभ जाते हो, सोच में
कई बार सोचा....दूर रखे तुम्हे
इस बेमतलबी सोच के दायरों
से गर्म हथयलियो पर बर्फ पिघले
ऐसा कुछ महसूस कर रुक जाते
टिमटिमाते दियो को इकटक देखे
तो ना जाने क्यों आंसू बन छलक जाते
सोचते है....क्या तुम भी सोचेते हो
जैसे हम सोचते है, हर घडी तुम्हे

Monday, October 11, 2010

इश्क है तुज से आज भी ....


मेरे जिस्म मे जान जबतक रहेगी
तेरा नाम सांसोंमें घुलता रहेगा
महकती रहेगी जिंदगी यूं हमेशा
और ये समा भी महकता रहेगा

जैसे कोई हो युगोंकी तपस्या
ये सफ़र भी तो वै्से ही चलता रहेगा
मिले ना मिले मंजिलोंका सहारा
रास्ता मेरे कदमोंको मिलता रहेगा

मेरे चाहतोंकी गहराईयोंमे
तेरे दिल का अक्स यू खिलता रहेगा
कोई रंजिशे, गम या कोई गिला भी
दुआओंमे मेरी बदलता रहेगा

कहते है सच्चे दिल से जो चाहो
एक दिन तुम्हारा वो बनके रहेगा
पिघलता है पत्थर भी यारा जहांपे
इश्क तो मोम है, वो पिघलके रहेगा


पलक

Tuesday, September 21, 2010

ले जाना..!!!!!


मेरी रातों की राहत दिन का इत्मिनान ले जाना,
तुम्हारे काम आ जायेगा, ये सामान ले जाना,

तुम्हारे बाद क्या रखना खुद से वास्ता कोई?
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना,

कांच के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो,
अगर तुम जोड़ सकते हो तो ये गुलदान ले जाना,

उधर अल्मारिओं में चाँद अव्राक परेशां हैं,
मेरे ये अधूरे ख्वाब मेरी जान ले जाना,

तुम्हे ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते,
पुरानी दोस्ती है इसकी कुछ पहचान ले जाना,

इरादा कर लिया है तुमने गर सच मुच बिछड़ने का,
तो फिर अपने ये सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना,

अगर थोड़ी बहुत है शायरी से उनको दिलचस्पी,
तो उनके सामने तुम मेरा ये दीवानापन ले जाना...!!!

Monday, September 13, 2010

मेरी पहचान ......!!!


बेचैन पलों में सुकून हूँ,
जो हद से गुज़र जाये वो जूनून हूँ,
रिश्तों का एहसास हूँ,
कभी बेनाम हूँ, पर फिर भी ख़ास हूँ में!
हाथ उठें तो में इबादत,
झुकती पलकों की में हया हु ,
अल्हड अटखेलियाँ और शरारत,
कैसे कोई मुझे करे बया ....



पलक 

Monday, September 6, 2010

daughter........


દીકરો વંશ છે
દીકરી અંશ છે

દીકરો આન છે
દીકરી શાન છે

દીકરો તન છે
દીકરી મન છે

દીકરો સંસ્કાર છે
દીકરી સંસ્ક્રુતિ છે

દીકરો આગ છે
દીકરી બાગ છે

દીકરો દવા છે
દીકરી દુઆ છે

દીકરો ભાગ્ય છે
દીકરી વિધાતા છે

દીકરો શબ્દ છે
દીકરી અર્થ છે

દીકરો ગીત છે
દીકરી સંગીત છે

દીકરો પ્રેમ છે
દીકરી પૂજા છે

દીકરી એજ દીકરો છે.

Saturday, August 28, 2010

बहाना .....!!!!


मिलने का मन था

तो उही चले आना था

बीच मै बेचारे

बहाने को क्यों लाना था ?????










Thursday, August 26, 2010

अदला बदली


सुना हैं की मेरी किताबे आज कल

तुम्हारे बिस्तर पर सोने लगी है

और मेरा अधिक समय अब

किताबघर में गुज़रने लगा है

जहा मुझे होना चाहिए था

वहा मेरी किताबे पहोच गई हैं

और जहा किताबो की जगह हैं

वो जगह मैंने ले ली है

ये कैसी अदला बदली है .....

Monday, August 23, 2010

रिश्ते की आज़ादी .....


लो कर दिया अब इस रिश्ते को आजाद

जो तेरा और मेरा था

नामो की कैद से आजाद

जो अब उडने लगा है खुले असमान मै

अपने वही खूबसूरत पंख फैला कर


देर तक इन्हे पिंजरों मै

हिफाज़त से बांध रखा था मैंने

अपने वही रिश्ते को

पिंजरों से सर पटकते पाया जब

इनके लहूलुहान माथो ने ...

और आप की घुटन ने

समझाया मुझे

की बहार खुले असमान मै

ज़ख्म तो इन्हे लगेगे ही

पर ... वे भरेगे भी

पर रूह तो ज़ख़्मी नहीं होगी ....

Palak






Sunday, August 22, 2010

याद .....!!


यहाँ मेरे अस पास
छूट गया था कुछ उस का
ऐसे उस ने मुझे कभी बताया था
चाय की प्याली पर कुछ निशान
जहा हम मिला करते थे
बैठे की जगह पर उस की हलकी सी छुवन
अस पास की हवाओ मै
घुली हुए सी कुछ बातें
लहराती हुए सी वो ठिठोली

यही सब था वैसे कुल मिला कर
और वही सब अब कविताकी पोटली मै बांध कर
सोप दिया उस ने मुझे अब
ताकि मन के बटुवे मै संजो
कुछ लव्जो को पिरो कर
उस की याद को जिन्दा रखु
पलक










Sunday, August 15, 2010


आज़ाद हिंद में हैं हम फिर भी गुलाम हैं
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी

अपने घर में डर डर के रहते हैं हम
सम्भाल कर जाना हर इक से कहते हैं हम
जिन नेताओं को सोंपी थी हमने देश की डोर
वो सब के सब निकले इक नंबर के चोर
औरत ही औरत के ज़ुल्मो की गुलाम है
भ्रूण हत्या और दहेज हत्या इस देश में आम है
प्यार करने वाले यहाँ बेमौत मर गए
जाने कितने बच्चे इज्ज़त की भेंट चढ़ गए
तुम्ही कहो फिर कहाँ से आज़ाद हैं हम
अपने देश में अपने ही लोगो के हाथो बर्बाद हैं हम
ये मै नहीं कहती ये तौ आम आदमी की जुबां है
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी

Monday, August 9, 2010

माँ....!!!!


कितनी गहराई है इस शब्द में .... माँ.... इश्वर का सब से खबसूरत वरदान... एक कविता पढ़ी कही उस से ये लिखने की प्रेरणा मिली..... हा कही ये भी एहसास है की ये शब्द मेरी जिन्दगी मै बहोत पहले ही चला गया है इस लिए शायद इस का सही अर्थ समज नहीं पाई कभी ... पर कोशिश की है की इस से जुड़े एहसास को यहाँ जिवंत कर पाऊ..... !!!!


इश्वर का एक रूप है माँ
ममता का वरदान है माँ
एक बच्चे का अभिमान है माँ
क्या ऐसे प्यारी होती है माँ ..... ?

इस श्रुष्ठी की रचिता है माँ
जीवन की शुरुआत है माँ
प्यार की दौलत लुटा देती है माँ
क्या ऐसी प्यारी होती है माँ ..... ?

प्यार की ठंडी फुहार होती है माँ
जीवन मै पतवार होती है माँ
अंधेरे मै प्रकाश होती है माँ
क्या ऐसी होती है माँ ..... ?

जग के सारे तीर्थ होती है माँ
संसार मै सब से बढ़ कर होती है माँ
सच कहू तो भगवान है माँ
गुनाह किया जो इश्वर से तुलना की
पर कान्हा की भी तो यशोदा थी माँ
इश्वर को भी संभालती है माँ....
क्या यही होती है माँ...?
नहीं पता कैसी होती है माँ ....
पलक

Sunday, August 8, 2010


हमारा मिलना शायद एक पल के लिए था मगर वो पल मेरी जिन्दगी का सब से हसीं पल था ........उस दिन के बाद आप हमेशा हमेशा के लिए मेरे हो गए और मै आप की ... मुझे लगा की मैंने उम्र भर के लिए प्यर को पा लिया .... क्या कहू समज नहीं आ रहा पर जैसे जैसे दिन गुज़र रहे है वैसे ही हर पल हर लम्हे मै आप को वो पिछले लम्हे से ज्यादा प्यार करने लगती हु..... आप को कैसे कहू की मुझे क्या एकसास होते है , जरा देखो तो मुझे -- क्या ये खवाबो की दुनिया तो नहीं.... ? मै आप को चाहती हु ये शायद कही छोटे पड़ जाते है प्यार के ढाई अक्षर के आगे .... जानती हु हम कभी एक नहीं होगे मगर आप को उही उम्र भर चाहुगी सदा... वो आप का कहना की सब ठीक हो जायगा ..या ये कहना की तुम से मै जिन्दा हु ... यही मेरी जिन्दगी की अमानाते है ... एक पल का प्यार.... एक पल की मुलाकात.... बस यही तो अमानाते है .......
पलक ........!!!!!!!

Saturday, August 7, 2010




में ने कहा वो अजनबी है
दिल ने कहा ये दिल की लगी है
में ने कहा वोह सपना है
दिल ने कहा फिर भी वो तेरा अपना है
में ने कहा वोह दो पल की मुलाक़ात है
दिल ने कहा वोह सदियों का साथ है
में ने कहा वोह मेरी हार की कहानी है
दिल ने कहा येही तो प्यार है

Friday, August 6, 2010

कसम ले लो...!!!!


इक पल भी चैन से गुज़रा हो तो
"कसम ले लो"

सिवाए यादों के कोई और सहारा हो तो
"कसम ले लो"

पहले तो बात और थी जो तुम पे हक जताती थी
अब खुद पर भी कोई हक हमारा हो तो
"कसम ले लो"

तुम ही ने कहा थी के तुम्हारे लबों पर मेरा ही नाम आये
उस के बाद जो लिया हो नाम किसी का तो
"कसम ले लो"

Wednesday, August 4, 2010

तुजे चाहने की कोशिश ....

आज बीते हुए पालो को जब हम ने मुड के देखा तो ... रेत पर पड़े हुए वो हमें जिन्दा मिले। लगा था कभी की वो वही दफ़न हो गए है पर आज मुड कर देखा तो साँस अब भी बाकि थी , उन्ही पालो को आज समेटा और एक कहानी बना ली हैं ... और आज वही ख्याल लव्जो मै उतर आये है यहाँ , पल पल तेरी याद आई ..वो याद जब एक तड़प बन गई तो हम ने उस को एक नाम दे दिया ... वही नाम आज मेरे जीने का मकसद है .... मेरा अक्स है ... वही मेरी पहचान है , लोग मुझे दीवानी कहते है या तो तेरा नाम साथ मै जोड़ लेते है ..क्या कहू इसे अपनी शोहरत या अपनी रुसवाई ... ये तो खामोश इबदाद है तुजे बेइंतहा चाहने की......


palak.......!!!!!!









Monday, August 2, 2010

वो शक्श ....!!!


ये भीगी शामो का गहराता हुआ सन्नाटा कहा ले जा रहा है ...... कुछ अनकही कहानियो को बया कर रहा है , मै तलाशती उसे हर हवा के जोके मै... कानो मै जैसे वही हवाए सरगोशियाँ कर रही थी ... कही मुड के देखा तोह कोई ना था वह पर फिर भी ना जाने क्यों उसके होने का एहसास छुआ जा रहा था..... वो एहसास बंध पलकों के नीचे एक याद बन कर मचल सा गया ..... वो शक्श याद बन कर रुला सा गया.....


पलक

Thursday, July 29, 2010

उंगलियाँ ...!!!


जब नाम तेरा प्यार से
लिखती हैं उँगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने की
उठती हैं उँगलियाँ
दामन तेरा मेरे हाथ
मैं आया था इक पल
दिन रात उस ही पल से
महेकती है उँगलियाँ
जिस दिन से दूर हो गए
उस दिन से ही हम
बस दिन तुम्हारे आने
के गिनती हैं उँगलियाँ
पत्थर को तराश कर
ना बन पाया एक ताज नया
बस फनकार की जहाँ मै कट जाती है उँगलियाँ

Wednesday, July 28, 2010


आँखों पे जब से पड़ गयी नज़रें फरेब की

आंसू हमारे और भी नमकीन हो गए

तुमने हमारे दर्द की लज्ज़त नहीं चखी

जिसने चखी वो दर्द के शौक़ीन हो गए

Tuesday, July 27, 2010


शब् भर तुम्हारी याद मै ऐसे जागते है हम
के चाँद के साथ टहलते रहते हैं हम
जब बिस्तर की सिलवटों को महसूस किया
तोह लगा जैसे
कुछ देर पहले
यहाँ से उठ कर गए हो तुम
पलक

किस कदर टूकड़ो मै बटा हमारा हिंदुस्तान.....


मौलवी पंडित परेशान आदमी परेसान हे
मुल्क मे चारो तरफ इंसानियत हैरान हे

कागजों के देश का नक्षा बदलता जा रहा हे
किस कदर टुकड़ों में बिखरा अपना हिन्दोस्तान हे

फासला बढता नज़र आने लगा हे किस तरह
फिर नयी इक जुंग की खातिर सजा मैदान हे

दब रहे आतंक में सब लोग सहमे हुए
कैसे कह दे रहनुमा हालात से अनजान हे

सरफरोशी की जिन्होने उनकी यादें रह गयी
आसनों पर वोह हे जिनकी कुर्सियां ईमान हे

कांपती दीवार उड़ाते कैलेंडर बतला रहे
साथियों !! इस और आ रहा कोई तूफ़ान हे

Sunday, July 25, 2010

Until U Return....!!!!


You have always done so much for me
I miss your love and tender embrace
The love you express is genuine
Memories of you, I cannot erase.

I miss your eyes of unspoken love
They sparkle as diamonds in the sun
Your smiles will never be forgotten
I think of you 'til the day is done.

Your gentle touch is greatly missed
The words of love you've always spoken
Will be held forever in my heart
The bond we have cannot be broken.

I will always love only you dear
I'll be waiting 'til you again return
Time is passing very slow each day
There's so much I still must learn.

The friendship you and I still share
Quickly blossomed into true love
Our hearts blend when we're together
Our love is given from God above.

You're Special and I miss you!

Friday, July 23, 2010

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बारिश की इन बूंदों ने जब दस्तक दी दरवाज़े पर

मेहसूस हुआ ....तुम आये हो ......अंदाज़ तुम्हारे जेसा था..

हवा के हलके झोंके ने जब आहट की खिड़की पर ..

मेहसूस हुआ ....तुम चले हो ....... अंदाज़ तुम्हारे जेसा था..

मैंने बूंदों को अपने हाथ पर टपकाया तो..

एक सर्द सा एहसास हुआ..... स्पर्श तुम्हारे जेसा था..

मैंने तनहा चली जब बारिश मैं एक झोंके ने साथ दिया..

मैंने समझा तुम साथ हो मेरे ...... एहसास तुम्हारे जेसा था

फिर रुक गई वों बारिश ना रही वों बाकी आहट भी ..

मैं समझी मुझे ....तुम छोड़ गए ....अंदाज़ तुम्हारे जेसा था

Tuesday, July 20, 2010

इतना तोह याद रख...


बस इतना सा याद रख मुझे जैसे किसी किताब मै किसी पुराणी सी याद ताज़ा करता हुआ कोई पुराना सा ख़त पड़ा हुआ मिले ....लव्ज़ मिटे मिटे से हो ...रंग उतरा उतरा हुआ सा हो ..देखते ही उसे तुजे वो अजनबी सा ना लगे ... भूले हुए से वो तमाम दुःख और गुजरे हुए वो तमाम सुख का अफसाना हो ... मिला जुला सा तेरा चेच्रा हर वो बात बयां कराय जो कभी तुने जीया हो ... हर वो पल तुज से कहे और तू रो पड़े...बस इतना सा याद रखना मुझे .... पलक

Sunday, July 18, 2010

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों मैं साहस भरता है,
चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है,
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हर नहीं होती।

डुबकियां सिन्धुमें गोताखोर लगता है,
जा जा कर खालीहाथ लौटकर आता है,
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में,
मुट्ठी उसकी खाली हरबार नहीं होती,
कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम,
संघर्षोंका मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किए बिना ही जयजयकार नही होती,
कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।


- कवि श्री हरिवंशराय बच्चन

Friday, July 16, 2010

बिदाई ....


“आज दुल्हन के लाल जोड़े में,
उसे उसकी सहेलियों ने सजाया होगा

मेरी जान के गोरे हाथों पर
सखियों ने मेहँदी को लगाया होगा

बहुत गेहरा चडेगा मेहँदी का रंग,
उस मेहँदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा

रह रह केर रो पड़ेगी
जब जब उसको ख्याल मेरा आया होगा

खुद को देखेगी जब आईने में,
तो अक्स उसको मेरा भी नज़र आया होगा

लग रही होगी बला सी सुंदर वोह,
आज देख केर उसको चाँद भी शरमाया होगा

आज मेरी जान ने
अपने माँ बाप की इज्ज़त को बचाया होगा

उसने बेटी होने का
दोस्तों आज हर फ़र्ज़ निभाया होगा

मजबूर होगी वोह सबसे ज्यादा,
सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा

अपने हाथों से उसने
हमारे प्रेम के खतों को जलाया होगा

खुद को मजबूत बना कर उसने
अपने दिल से मेरी यादों को मिटाया होगा

भूखी होगी वोह जानता हूँ में,
कुछ न उस पगली ने मेरे बगैर खाया होगा

कैसे संभाला होगा खुदको
जब उसे फेरों के लिए बुलाया होगा

कांपता होगा जिस्म उसका,
हौले से पंडित ने हाथ उसका किस्सी और को पकडाया होगा

में तो मजबूर हूँ पता है उसे,
आज खुद को भी बेबस सा उसने पाया होगा

रो रो के बुरा हाल हो गया होगा उस का ,
जब वक़्त उसकी विदाई का आया होगा

बड़े प्यार से मेरी जान को
माँ बाप ने डोली में बिठाया होगा

रो पड़ेगी आत्मा भी
दिल भी चीखा और चिलाया होगा

आज अपने माँ बाप के लिए
उसने गला अपनी खुशियों का दबाया होगा

रह न पाएगी जुदा होकर मुझसे
डर है की ज़हर चुपके से उसने खाया होगा ”


%%%% Fact of many Love Stories %%%%

Sunday, June 27, 2010

अधुरा प्यार....!!!!


डरा सा बैठा है सीने में कहीं एक ख्याल तेरा...
फिर कभी यूँ आंसुओं में बह जाता है अरमान मेरा...
चुप है आज जिन्दगी मेरी....
चुप सा है आज आसमान मेरा..
ढूढती फिरती हूँ बीते हुए लम्हों में तुझे....
आँखों में आज भी है इन्तेजार तेरा...

ऐ जाने वाले एक बार तो समज ...
ये अधुरा सा प्यार मेरा.....!!

Sunday, June 6, 2010

महोब्बत हो तुम...!!


मेरे दिल में बसी हरारत हो तुम,
मेरी आँखों को मिली शरारत हो तुम,
देखूं तुम्हें तो पालूं में दुनिया,
न मिलो तो मिलने की बगावत हो तुम,
तुम्हारी ख़ामोशी कह जाती है कई बातें,
जिसे याद करता है दिल कई रातें,
तुम्हारे नन्हे नन्हे से हाथ और बड़ी बड़ी बातें,
याद रह जाती हैं तुमसे हुई सब मुलाकातें,
उम्मीद हो हमारी आनेवाला कल हो तुम,
मेरे दिल में बसी महोब्बत हो तुम.

Saturday, June 5, 2010




देखो
रात बैठ के
आसमां के किनारे
लटका के पैर अपने
पायल बजा रही है

जी में आता है
आज
पकड़ के इसके पैर
खींच लूँ इसे ज़मीं पर
कैद कर के रख लूँ

कि फिर कभी रात के बहाने
तुम मुझसे दूर ना जाओ..!

इश्क और हया .....!!!!


क्या है रिश्ता
इश्क का हया से

हया
जो इश्क की कुछ नहीं लगती
क्यूँ बावरी है
चल रही है राह पे उसकी

जिस दिन
इश्क ने
हया का माथा चूम लिया
उस दिन से
आँखों की टहनी पे
अश्कों के फल नहीं लगते

उस दिन से ख़्वाबों का
खारापन गया

उस दिन से महक रही है
यादों की संदल
और हया मदहोश है

पगली ये जानती है
ये दीवानगी जान ले के जायेगी

मगर फिर भी
चिराग बुझने से पहले
जो एक पल जी भर के जीता है
वही एक पल मिला है
अब हया को

इसमें जान भी जाए
तो भी ये

सौदा सस्ता..!!

Wednesday, June 2, 2010




मधुवन में बैठी राधा
कर रही इंतज़ार हैं
हाँ आज भी उसे प्यार हैं
पा ना सकी उसे तो क्या
मीरा आज भी बेकरार हैं
हाँ उसे भी प्यार हैं
मिलन की प्यासी
अपने भजन मैं
राधा ने पाया अपने मन में
मीरा ने पाया अपनी भक्ति में

क्या येही प्यार हैं
……………….हाँ शायद यही प्यार हैं…..

तेरे जाने के बाद.......


तुझे चाहा था कुछ इस कदर हमने ,
की चाहकर भी हम तुझे पा ना सके,
तू जुदा भी हमसे कुछ इस तरह से है ,
की चाहकर भी हम तुझे भुला ना सके,
एक ख्वाहिश बसी थी इस दिल में की तुझे अपना बना लू,
कई कोशिशो के बावजूद हम इसे हकीकत बना ना सके,
आती है हर रात बस तेरा ही ख्वाब लेकर,
तेरे अक्स को हम अपनी ज़िन्दगी से मिटा ना सके,
एक मंजिल की तलाश में राहे बदल ली हमने,
पर उन राहो पर से तेरे निशाँ हम मिटा ना सके,
होकर ज़माने की भीड़ में सजाई महफिले कई हमने,
फिर भी किसी और को अपना कहकर हम बुला ना सके,
तेरी रुखसत के बाद तो वो खुदा भी रूठ गया हमसे,
यही सोचकर फिर दुआओं में हम हाथ उठा ना सके,
कहता है ज़माना की तू भुल गया होगा हमे अब,
सोचकर भी इस बात को हम अपना ना सके,
तुझसे थी ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मेरी,
तेरे बाद कोई और तमन्ना हम जगा ना सके…।


Palak





Sunday, May 30, 2010





दर के उल्फत के इरादे पे ज़रा फिर सोच ले,

में चली जाउंगी और तु देखता रह जायेगा ,

ये नहीं कहते की तुझ बिन जी नहीं पायेंगे हम,

हाँ मगर जिंदगी में एक कमी रह जाएगी,

प्यार के सदके ये लगता है हमारे दरमियाँ,

और कुछ ना भी रहे तो ये दोस्ती रह जाएगी,

में तो तय कर के चली जाउंगी दुनिया के सफ़र से ..

मेरे बारे में ये दुनिया सोचती रह जाएगी,

में अगर ना भी रहू, तो ये शायरी रह जाएगी………

Palak

Monday, May 24, 2010


पनाहों मै जो आया हो उस पर वार क्या
जो दिल से हारा हुआ हो फिर उस पर अधिकार क्या करना
महोब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश मै हैं
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना

Friday, May 21, 2010

वो सिर्फ मेरा हों......

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कोई तो हो ऐसा जो सिर्फ मेरा हो

बातों में उसकी खुशबू हो
दिल में उसका बसेरा हो
चाहे तो सिर्फ चाहत मेरी
मांगे तो सिर्फ मोहब्बत मेरी

वो चाँद की चांदनी हो तो
चाँद सिर्फ मेरा हो

वो दिन की रौशनी हो तो
सूरज सिर्फ मेरा हो

वो फूलों की खुशबू हो तो
एहसास सिर्फ मेरा हो

वो रात का उजाला हो तो
चाँद सिर्फ मेरा हो

वो पानी की बूँद हों तो
दरिया सिर्फ मेरा हो

वो किस्मत की लकीर हो तो
हाथ सिर्फ मेरा हों

वो इश्क और महोब्बत हो तो
दिल सिर्फ मेरा हो

पलक

वो इश्क और महोब्बत हों तो
दिल सिर्फ मेरा हों

पलक

Wednesday, May 19, 2010


पुछा हमने उनसे के ...... रूह जिस्म से कैसे नकलती है ?
मेरे हाथों से उसने अपना हाथ छुड़ा कर दिखा दिया,


पुछा हमने उनसे के ....... हर तरफ ये तन्हाई सी कैसी लगती है?
भरी महफ़िल से उसने खुदको उठा कर दिखा दिया,


पुछा हम ने उन से ..... के वो कोन सी है रौशनी जिसे कोई हवा ना बूजा सकी,
दिया उसने अपनी मोहब्बत की वफ़ा का जला कर दिखा दिया,


पुछा हम ने उनसे ...... के आखिर ये मोहब्बत है ही क्या चीज़ जिसे दीवानगी कहते है,
हसते हुए खुदको मिटाकर उसने मोहब्बत का मतलब समझा दिया…

Monday, May 17, 2010

रिश्तों की अनकही .....


मीलों मील चलने वाले रिश्ते
कच्चे नाज़ुक धागों से टिकते है

धुप, छाव , रंग, में पलते रिश्ते
तूफ़ान आने पर बिखरते है

रुख हवाओं का मुडने पर जान के दुश्मन
मौसम बदलने पर पाक दिल फ़रिश्ते है

किसी मोड़ पर अजनबी से रिश्ते
मंजिल तक रेंगकर थकते रिश्ते है

कहीं दिल मिलकर मुकम्मल से
कहीं बिखरे आइने के किश्ते है

ज़िन्दगी में सेंकडो रूहों से जुड़ ने वाले
मौत पर दम तोडते हुए, रिश्ते आखिर रिश्ते है ...

Friday, May 14, 2010

बूँद .....




कभी रुक रुक के बही आँख से
निकल के कोई "बूँद"

कभी छलक के पलक से
गिरी कोई "बूँद"

गिरी जब कभी आँख से
दामन पे रुकी आके
न सिर्फ दामन को
मन को भी भीगा गयी "बूँद" ....

कभी ख़ुशी में आँखें नाम हुई
कभी गम से बोझिल हो के भीगी
कभी बेरुखी से साकी की
कभी प्यार पा के बही "बूंद"

उतार गई प्यार का
वो सारा कच्चा रंग
सोचा नहीं था जो
वो कर गई एक "बूँद"...

पलक

Thursday, May 13, 2010

तुज से बिछड़ के....




याद है आखिरी बार

जब मैं तुमसे लिपट के

जी भर के रोई थी

की मुझे छोड़ के मत जाना

मैं जी नही पाऊँगी॥


और मेरे आंसू पोछतें हुए तुमने कहा था

की मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ
और आज के बाद कभी रोना मत

मैं तुम्हारी आंखों में आंसू

देख नही सकता ...

आज वो सब याद करती हूँ...

तो सोचती हूँ ....

कितना बदल गया सब कुछ

जो आंसू तुम्हे अच्छे नही लगते थे

वही छोड़ गए तुम
मेरी आंखों में

और ......तुमसे बड़ी तो बेवफा मैं निकली

की आज तक जिंदा हूँ

"तुमसे बिछड़ के मैं "... PG

लौट आओ .. !!!!!


धड़कते दिल के पैगाम सुनो आज.....

की एक मुद्दत हुई तुम्हे ये राज जताते हुए...

एक शाम मेरे नाम करो आज...

की एक अरसा हुआ तुझे पास बुलाते हुए...

हो सके तो मुझे एक महफ़िल देदो...

की उब चुके हैं उम्र यु ही तनहा बिताते हुए...

गर तुम आ सको तो लौट आओ मेरी जिंदगी में...

की ख़तम हो रहे हैं अब सब बहाना-इ-जिंदगी.. आजमाते हुए... पलक .... PG

Wednesday, May 12, 2010

प्यार किसे तुम कहते हो?


खामोश जुबां के लफ़्ज़ों में
कुछ पोशीदा सी बातें है

इन पोशीदा सी बातों में
कुछ चाहत की बरसातें हैं

इन बातों को हम मुद्दत से
सीने में छुपाये बैठे हैं

कुछ पाए बिना कुछ खो देना
ये प्यार में हम ने सीखा है

सूरज में, चाँद सितारों में
हर शय मैं तुम्ही को देखा है

ये प्यार नहीं तो तुम्ही कहो…
फिर प्यार किसे तुम कहते हो???


palak ( PG )

Thursday, May 6, 2010

ये तेरा एहसास ..!!!


संभाले ना संभले है मेरी आरजू
एक तेरे मिलने की आस बहुत

हैं मचलती साँसों के तकाजे कई
एक तेरी साँस का एहसास बहुत

हसरतों की अजी बात क्या पूछिये
सदियों तक रही इन की प्यास बहुत

मिल जाती अगर मांगने से हमें
वो मोहब्बत ना आती रास बहुत

तोहफा गुलाबों का किस किस से मिला
सदिओं महकता रहा यह एहसास बहुत

रुके थे लबों पर फ़साने कई
ख़ामोशी की अदा थी ख़ास बहुत

PG

Wednesday, May 5, 2010

आगोश......!!!!


आज बादलों को चाँद की आगोश मैं सोते देखा
तारों को भरी रात मैं रोते देखा

जिसे चाह एक मुद्दत बीतने तक
आज मैं ने उसे किसी और का होते देखा

जिस की..........आरज़ू मैं मैंने उम्र गवा दी
उस को सीप के साथ गहराईयों मैं खोते देखा

जिस मोती को संभाले रखा था अपना मुक्कद्दर जान कर
किसी और को वो ही मोती अपने हार मैं पिरोते देखा ...!!!!!
PG


Wednesday, January 27, 2010

वो शक्श ......!!!


मेरे लिए कुछ ख़ास है वो शक्स...
मेरे लिए मेरी रूह है वो शक्स...

जिसकी बातों ने मुज को मुझसे से चुरा लिया,
मेरे लिए मेरी साँसे है वो शक्स...

जिसकी हर एक अदा ने मुझे पागल बना दिया.
मेरे लिए मेरी सारी खुशिया है वो शक्स...

जिसे खुश देख कर मेरा दिल खुश हुआ,
मेरे लिए मेरा नूर है वो शक्स...

जिसे मै अपना साया कह सकू,
मेरे लिए मेरी ज़िन्दगी ही है वो शक्स...
PG