“आज दुल्हन के लाल जोड़े में,
उसे उसकी सहेलियों ने सजाया होगा
मेरी जान के गोरे हाथों पर
सखियों ने मेहँदी को लगाया होगा
बहुत गेहरा चडेगा मेहँदी का रंग,
उस मेहँदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा
रह रह केर रो पड़ेगी
जब जब उसको ख्याल मेरा आया होगा
खुद को देखेगी जब आईने में,
तो अक्स उसको मेरा भी नज़र आया होगा
लग रही होगी बला सी सुंदर वोह,
आज देख केर उसको चाँद भी शरमाया होगा
आज मेरी जान ने
अपने माँ बाप की इज्ज़त को बचाया होगा
उसने बेटी होने का
दोस्तों आज हर फ़र्ज़ निभाया होगा
मजबूर होगी वोह सबसे ज्यादा,
सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा
अपने हाथों से उसने
हमारे प्रेम के खतों को जलाया होगा
खुद को मजबूत बना कर उसने
अपने दिल से मेरी यादों को मिटाया होगा
भूखी होगी वोह जानता हूँ में,
कुछ न उस पगली ने मेरे बगैर खाया होगा
कैसे संभाला होगा खुदको
जब उसे फेरों के लिए बुलाया होगा
कांपता होगा जिस्म उसका,
हौले से पंडित ने हाथ उसका किस्सी और को पकडाया होगा
में तो मजबूर हूँ पता है उसे,
आज खुद को भी बेबस सा उसने पाया होगा
रो रो के बुरा हाल हो गया होगा उस का ,
जब वक़्त उसकी विदाई का आया होगा
बड़े प्यार से मेरी जान को
माँ बाप ने डोली में बिठाया होगा
रो पड़ेगी आत्मा भी
दिल भी चीखा और चिलाया होगा
आज अपने माँ बाप के लिए
उसने गला अपनी खुशियों का दबाया होगा
रह न पाएगी जुदा होकर मुझसे
डर है की ज़हर चुपके से उसने खाया होगा ”
उसे उसकी सहेलियों ने सजाया होगा
मेरी जान के गोरे हाथों पर
सखियों ने मेहँदी को लगाया होगा
बहुत गेहरा चडेगा मेहँदी का रंग,
उस मेहँदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा
रह रह केर रो पड़ेगी
जब जब उसको ख्याल मेरा आया होगा
खुद को देखेगी जब आईने में,
तो अक्स उसको मेरा भी नज़र आया होगा
लग रही होगी बला सी सुंदर वोह,
आज देख केर उसको चाँद भी शरमाया होगा
आज मेरी जान ने
अपने माँ बाप की इज्ज़त को बचाया होगा
उसने बेटी होने का
दोस्तों आज हर फ़र्ज़ निभाया होगा
मजबूर होगी वोह सबसे ज्यादा,
सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा
अपने हाथों से उसने
हमारे प्रेम के खतों को जलाया होगा
खुद को मजबूत बना कर उसने
अपने दिल से मेरी यादों को मिटाया होगा
भूखी होगी वोह जानता हूँ में,
कुछ न उस पगली ने मेरे बगैर खाया होगा
कैसे संभाला होगा खुदको
जब उसे फेरों के लिए बुलाया होगा
कांपता होगा जिस्म उसका,
हौले से पंडित ने हाथ उसका किस्सी और को पकडाया होगा
में तो मजबूर हूँ पता है उसे,
आज खुद को भी बेबस सा उसने पाया होगा
रो रो के बुरा हाल हो गया होगा उस का ,
जब वक़्त उसकी विदाई का आया होगा
बड़े प्यार से मेरी जान को
माँ बाप ने डोली में बिठाया होगा
रो पड़ेगी आत्मा भी
दिल भी चीखा और चिलाया होगा
आज अपने माँ बाप के लिए
उसने गला अपनी खुशियों का दबाया होगा
रह न पाएगी जुदा होकर मुझसे
डर है की ज़हर चुपके से उसने खाया होगा ”
%%%% Fact of many Love Stories %%%%
5 comments:
ओह!! भावनात्मक अभिव्यक्ति!
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
काफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
sanjay ji ye mera likha hua nahi hai per maine kahi padha tha shayd ye kafi sarai premkahaniyo =ka najam hai .. aap ki har comment ke liye thanks u so much.
Haa bilkul sahi kaha... ye kafi sarai premkahaniyo ka najam hai...
~Pearl...
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