Friday, September 20, 2013

बेटियां....




बेटियां तो परियों का रूप होती है …

या कड़कती ठण्ड में सुहानी धूप होती है …

वो होती है उदासी के हर मर्ज़ की दवा की तरह …

या ओस में शीतल हवा की तरह …

वो चिड़ियों की चेहचाहट है , या के निश्छल

खिलकिलाहट है …

वो आँगन में फैला उजाला है ..

या पापा के गुस्से पे लगा ताला है …

वो पहाड़ की चोटी पे सूरज की किरण है …

या ज़िन्दगी सही जीने का आचरण है…......

है वो ताकत जो छोटे से घर को महल बना दे …

है वो काफ़िया जो किसी ग़ज़ल को मुक्कमल कर दे …

वो अक्षर जो न हो तो वर्ण माला अधूरी है …

वो , जो सबसे ज्यादा ज़रूरी है …

ये कह सकते की वो हर वक़्त साथ साथ होती है ,

बेटियाँ तो सिर्फ एक एहसास होती हैं ..



पल 

U R My Life My Sweet Angle.. Dattvi...