जब नाम तेरा प्यार से
लिखती हैं उँगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने की
उठती हैं उँगलियाँ
दामन तेरा मेरे हाथ
मैं आया था इक पल
दिन रात उस ही पल से
महेकती है उँगलियाँ
जिस दिन से दूर हो गए
उस दिन से ही हम
बस दिन तुम्हारे आने
के गिनती हैं उँगलियाँ
लिखती हैं उँगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने की
उठती हैं उँगलियाँ
दामन तेरा मेरे हाथ
मैं आया था इक पल
दिन रात उस ही पल से
महेकती है उँगलियाँ
जिस दिन से दूर हो गए
उस दिन से ही हम
बस दिन तुम्हारे आने
के गिनती हैं उँगलियाँ
पत्थर को तराश कर
ना बन पाया एक ताज नया
बस फनकार की जहाँ मै कट जाती है उँगलियाँ
9 comments:
बहुत खूबसूरत ....
सुन्दर अभिव्यक्ति!!
बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक...
मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
Palak ji aapki tareef ke liyee
nice and lively feelings
badhai
मंगलवार 3 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
लाजवाब रचना ...जितनी बार पढो मन नहीं भरता...एक बात और आपके ब्लॉग पर मधुबाला का चित्र देख बहुत अच्छा लगा...
नीरज
thank u to all u lovely people who comment on this post and always motivate me ....
palak
tumhari rechana k anuroop iski caption bhi khoobsoorat hai....
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