मौलवी पंडित परेशान आदमी परेसान हे
मुल्क मे चारो तरफ इंसानियत हैरान हे
कागजों के देश का नक्षा बदलता जा रहा हे
किस कदर टुकड़ों में बिखरा अपना हिन्दोस्तान हे
फासला बढता नज़र आने लगा हे किस तरह
फिर नयी इक जुंग की खातिर सजा मैदान हे
दब रहे आतंक में सब लोग सहमे हुए
कैसे कह दे रहनुमा हालात से अनजान हे
सरफरोशी की जिन्होने उनकी यादें रह गयी
आसनों पर वोह हे जिनकी कुर्सियां ईमान हे
कांपती दीवार उड़ाते कैलेंडर बतला रहे
साथियों !! इस और आ रहा कोई तूफ़ान हे
मुल्क मे चारो तरफ इंसानियत हैरान हे
कागजों के देश का नक्षा बदलता जा रहा हे
किस कदर टुकड़ों में बिखरा अपना हिन्दोस्तान हे
फासला बढता नज़र आने लगा हे किस तरह
फिर नयी इक जुंग की खातिर सजा मैदान हे
दब रहे आतंक में सब लोग सहमे हुए
कैसे कह दे रहनुमा हालात से अनजान हे
सरफरोशी की जिन्होने उनकी यादें रह गयी
आसनों पर वोह हे जिनकी कुर्सियां ईमान हे
कांपती दीवार उड़ाते कैलेंडर बतला रहे
साथियों !! इस और आ रहा कोई तूफ़ान हे
4 comments:
कांपती दीवार उड़ाते कैलेंडर बतला रहे
साथियों !! इस और आ रहा कोई तूफ़ान हे
बहुत सुंदर सटीक लिखा आपने
आभार.
thanks for ur comment anamika ji
palak
बहुत सुंदर सटीक लिखा आपने
लूट रहा जनता का पैसा चैन लेता और है
कर रहा है मौज़ नेता मर रहा जवान (सेना) है
अच्छे एहसासात हैं...
Post a Comment