Friday, May 15, 2020

तेरे नाम का श्रृंगार करके 
सुहागन की लाल चुनरी ओढ़ के
हाथों में तेरा नाम छूपा के 
आयी हूँ मैं आज 
मेरे बाबुल का आँगन छोड़के|

Wednesday, May 13, 2020

एक बात बोलूं वह मिलेगी मुझे हर जगह मेरे किस्सो कहानियों में दिन में रात में ख्वाबों में मैस मे ड्यूटी में छुट्टियों में। सवेरे में ढलती शाम मे। वह सब जग ह मिलती है मुझे उसे ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती। वह परछाई बनकर हमेशा मेरे साथ रहती है फिर भी जाने क्यों अधूरी सी लगती है जिंदगी खैर चांद कभी अपने दाग को तो नहीं छोड़ सकता सूर्य कभी अपनी तपन को तो नहीं छोड़ सकता ऐसे ही मैं भी जुदा होकर भी जुदा नहीं। वह मिलती है मुझे जिंदगी के हर मोड़ पर लेकिन उसे मालूम नहीं और मिलती रहेगी हमेशा ऐसे ही मेरी प्रेम कहानियों मेंअगर जिंदगी में तू नहीं तो जिंदगी जिंदगी तो नहीं है खैर तुम इन बातों को कहां समझती हो तुम्हारे लिए तो आज भी यह सब  निरर्थक है। क्योंकि तुमने तो अपने रास्ते ही बदल लिए है।। तुम्हारे नाम से ढूंढता हूं हजारों प्रोफाइल शायद कहीं तुम मिल जाओ तुम तक पहुंच जाऊं मैं किसी तरह ताकि तुम देख सको के प्रेम कहानियां लिखने लगा हूं अब मैं ।।