इक पल भी चैन से गुज़रा हो तो
"कसम ले लो"
सिवाए यादों के कोई और सहारा हो तो
"कसम ले लो"
पहले तो बात और थी जो तुम पे हक जताती थी
अब खुद पर भी कोई हक हमारा हो तो
"कसम ले लो"
तुम ही ने कहा थी के तुम्हारे लबों पर मेरा ही नाम आये
उस के बाद जो लिया हो नाम किसी का तो
"कसम ले लो"
"कसम ले लो"
सिवाए यादों के कोई और सहारा हो तो
"कसम ले लो"
पहले तो बात और थी जो तुम पे हक जताती थी
अब खुद पर भी कोई हक हमारा हो तो
"कसम ले लो"
तुम ही ने कहा थी के तुम्हारे लबों पर मेरा ही नाम आये
उस के बाद जो लिया हो नाम किसी का तो
"कसम ले लो"
2 comments:
आह बहुत खूबसूरत कविता लिखी मनो दिल निचोड़ कर रख दिया हो.
aaye the meri jindgi me "bahar" ban ke...gaye ho chhod ke jab se....dil se ek pal bhi bhoola ho tumhe to...."Kasam le lo"!!!
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