बेचैन पलों में सुकून हूँ,
जो हद से गुज़र जाये वो जूनून हूँ,
रिश्तों का एहसास हूँ,
कभी बेनाम हूँ, पर फिर भी ख़ास हूँ में!
हाथ उठें तो में इबादत,
झुकती पलकों की में हया हु ,
अल्हड अटखेलियाँ और शरारत,
कैसे कोई मुझे करे बया ....
पलक
3 comments:
Anonymous
said...
This is you my dear.... I really see you in these words!
3 comments:
This is you my dear.... I really see you in these words!
~Pearl...
कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी
खूबसूरत चित्रों के साथ मन के भावों को बहुत सुन्दर लिखा है...
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