आईने में चेहरा अपना देखा,
और तस्वीर तेरी नज़र आई..
ए- सितमगर आज मुझे,
तेरी बेवफाई फिर नज़र आई..
मिटा नही पाया तेरी कमी दिल से कभी,
आज मुझे अपनी यह मज़बूरी नज़र आई..
दर्द से जिंदा रहने का एहसास होता है,
ऐसे हालात में फंसी मुझे अपनी जिंदगी नज़र आई..
जिस पल तू खो गया कहीं भीड़ में,
उस पल से मुझे अपनी जिंदगी रुकी नज़र आई..
दो -चार ख़ुशी की बूंदें चाहे गिरी हो मुझ पर,
पर उसके बाद तो गम की बरसात नज़र आई….
जाने क्या बात थी तुझमें और तेरी यादों में,
आँखों ने तो रो दिया,पर होठों पर हंसी नज़र आई..!!!