Sunday, June 27, 2010

अधुरा प्यार....!!!!


डरा सा बैठा है सीने में कहीं एक ख्याल तेरा...
फिर कभी यूँ आंसुओं में बह जाता है अरमान मेरा...
चुप है आज जिन्दगी मेरी....
चुप सा है आज आसमान मेरा..
ढूढती फिरती हूँ बीते हुए लम्हों में तुझे....
आँखों में आज भी है इन्तेजार तेरा...

ऐ जाने वाले एक बार तो समज ...
ये अधुरा सा प्यार मेरा.....!!

Sunday, June 6, 2010

महोब्बत हो तुम...!!


मेरे दिल में बसी हरारत हो तुम,
मेरी आँखों को मिली शरारत हो तुम,
देखूं तुम्हें तो पालूं में दुनिया,
न मिलो तो मिलने की बगावत हो तुम,
तुम्हारी ख़ामोशी कह जाती है कई बातें,
जिसे याद करता है दिल कई रातें,
तुम्हारे नन्हे नन्हे से हाथ और बड़ी बड़ी बातें,
याद रह जाती हैं तुमसे हुई सब मुलाकातें,
उम्मीद हो हमारी आनेवाला कल हो तुम,
मेरे दिल में बसी महोब्बत हो तुम.

Saturday, June 5, 2010




देखो
रात बैठ के
आसमां के किनारे
लटका के पैर अपने
पायल बजा रही है

जी में आता है
आज
पकड़ के इसके पैर
खींच लूँ इसे ज़मीं पर
कैद कर के रख लूँ

कि फिर कभी रात के बहाने
तुम मुझसे दूर ना जाओ..!

इश्क और हया .....!!!!


क्या है रिश्ता
इश्क का हया से

हया
जो इश्क की कुछ नहीं लगती
क्यूँ बावरी है
चल रही है राह पे उसकी

जिस दिन
इश्क ने
हया का माथा चूम लिया
उस दिन से
आँखों की टहनी पे
अश्कों के फल नहीं लगते

उस दिन से ख़्वाबों का
खारापन गया

उस दिन से महक रही है
यादों की संदल
और हया मदहोश है

पगली ये जानती है
ये दीवानगी जान ले के जायेगी

मगर फिर भी
चिराग बुझने से पहले
जो एक पल जी भर के जीता है
वही एक पल मिला है
अब हया को

इसमें जान भी जाए
तो भी ये

सौदा सस्ता..!!

Wednesday, June 2, 2010




मधुवन में बैठी राधा
कर रही इंतज़ार हैं
हाँ आज भी उसे प्यार हैं
पा ना सकी उसे तो क्या
मीरा आज भी बेकरार हैं
हाँ उसे भी प्यार हैं
मिलन की प्यासी
अपने भजन मैं
राधा ने पाया अपने मन में
मीरा ने पाया अपनी भक्ति में

क्या येही प्यार हैं
……………….हाँ शायद यही प्यार हैं…..

तेरे जाने के बाद.......


तुझे चाहा था कुछ इस कदर हमने ,
की चाहकर भी हम तुझे पा ना सके,
तू जुदा भी हमसे कुछ इस तरह से है ,
की चाहकर भी हम तुझे भुला ना सके,
एक ख्वाहिश बसी थी इस दिल में की तुझे अपना बना लू,
कई कोशिशो के बावजूद हम इसे हकीकत बना ना सके,
आती है हर रात बस तेरा ही ख्वाब लेकर,
तेरे अक्स को हम अपनी ज़िन्दगी से मिटा ना सके,
एक मंजिल की तलाश में राहे बदल ली हमने,
पर उन राहो पर से तेरे निशाँ हम मिटा ना सके,
होकर ज़माने की भीड़ में सजाई महफिले कई हमने,
फिर भी किसी और को अपना कहकर हम बुला ना सके,
तेरी रुखसत के बाद तो वो खुदा भी रूठ गया हमसे,
यही सोचकर फिर दुआओं में हम हाथ उठा ना सके,
कहता है ज़माना की तू भुल गया होगा हमे अब,
सोचकर भी इस बात को हम अपना ना सके,
तुझसे थी ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मेरी,
तेरे बाद कोई और तमन्ना हम जगा ना सके…।


Palak