सुना हैं की मेरी किताबे आज कल
तुम्हारे बिस्तर पर सोने लगी है
और मेरा अधिक समय अब
किताबघर में गुज़रने लगा है
जहा मुझे होना चाहिए था
वहा मेरी किताबे पहोच गई हैं
और जहा किताबो की जगह हैं
वो जगह मैंने ले ली है
ये कैसी अदला बदली है .....
लम्हे तेरे प्यार के ......
4 comments:
वह साहिब.......... कहाँ की जुगत कहाँ भिडाई है.
Bahut achha likha hai aapne...aapki soch sach mein "sundar" hai.....
Ise "duriya" kahein ya "najdikiya".....pata nahi...magar...shayad...yeh "duriya" woh "najdikiya" se jyaada achhi hai !!!
मेरी जगह किताबों ने ले ली,बहुत अच्छा कहा ।
अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
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