Monday, August 9, 2010

माँ....!!!!


कितनी गहराई है इस शब्द में .... माँ.... इश्वर का सब से खबसूरत वरदान... एक कविता पढ़ी कही उस से ये लिखने की प्रेरणा मिली..... हा कही ये भी एहसास है की ये शब्द मेरी जिन्दगी मै बहोत पहले ही चला गया है इस लिए शायद इस का सही अर्थ समज नहीं पाई कभी ... पर कोशिश की है की इस से जुड़े एहसास को यहाँ जिवंत कर पाऊ..... !!!!


इश्वर का एक रूप है माँ
ममता का वरदान है माँ
एक बच्चे का अभिमान है माँ
क्या ऐसे प्यारी होती है माँ ..... ?

इस श्रुष्ठी की रचिता है माँ
जीवन की शुरुआत है माँ
प्यार की दौलत लुटा देती है माँ
क्या ऐसी प्यारी होती है माँ ..... ?

प्यार की ठंडी फुहार होती है माँ
जीवन मै पतवार होती है माँ
अंधेरे मै प्रकाश होती है माँ
क्या ऐसी होती है माँ ..... ?

जग के सारे तीर्थ होती है माँ
संसार मै सब से बढ़ कर होती है माँ
सच कहू तो भगवान है माँ
गुनाह किया जो इश्वर से तुलना की
पर कान्हा की भी तो यशोदा थी माँ
इश्वर को भी संभालती है माँ....
क्या यही होती है माँ...?
नहीं पता कैसी होती है माँ ....
पलक

4 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत भावपूर्ण रचना.

raaaj said...

Thank you so much for your these lines on the most wonderful relationship "MAA", i couldn't agree with you more. u have touched many people I'm sure,

Anonymous said...

Bahut pyaari rachna hai yeh tumhari....eisa lagta hai ki kisi nanhi si bachhi ne apani maa ke baarein mein jo soch hai woh likha hai...sach shayd itni pyaari hone ki wajah se hi kisi ne kaha hai.....

"the most beautiful creation of the GOD - A heart of a mother!!"

संजय भास्‍कर said...

the most beautiful creation of the GOD - A heart of a mother