Tuesday, September 21, 2010

ले जाना..!!!!!


मेरी रातों की राहत दिन का इत्मिनान ले जाना,
तुम्हारे काम आ जायेगा, ये सामान ले जाना,

तुम्हारे बाद क्या रखना खुद से वास्ता कोई?
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना,

कांच के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो,
अगर तुम जोड़ सकते हो तो ये गुलदान ले जाना,

उधर अल्मारिओं में चाँद अव्राक परेशां हैं,
मेरे ये अधूरे ख्वाब मेरी जान ले जाना,

तुम्हे ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते,
पुरानी दोस्ती है इसकी कुछ पहचान ले जाना,

इरादा कर लिया है तुमने गर सच मुच बिछड़ने का,
तो फिर अपने ये सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना,

अगर थोड़ी बहुत है शायरी से उनको दिलचस्पी,
तो उनके सामने तुम मेरा ये दीवानापन ले जाना...!!!

5 comments:

M VERMA said...

उधर अल्मारिओं में चाँद अव्राक परेशां हैं,
मेरे ये अधूरे ख्वाब मेरी जान ले जाना,

बहुत सुन्दर

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!

अमिताभ मीत said...

इरादा कर लिया है तुम ने गर सच मुच बिछड़ने का
तो फिर अपने वो सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना

क्या बात है !!

Raj said...

kitni pyaari soch hai...

jaana hi hai to chale jaao...jaate jaate yeh "deewanapan" le jaao mera...tum nahi to yeh "deewangi" kis kaam ki?

संजय भास्‍कर said...

bahut pyaree shoukh chanchal see kavita.....