Saturday, August 28, 2010

बहाना .....!!!!


मिलने का मन था

तो उही चले आना था

बीच मै बेचारे

बहाने को क्यों लाना था ?????










Thursday, August 26, 2010

अदला बदली


सुना हैं की मेरी किताबे आज कल

तुम्हारे बिस्तर पर सोने लगी है

और मेरा अधिक समय अब

किताबघर में गुज़रने लगा है

जहा मुझे होना चाहिए था

वहा मेरी किताबे पहोच गई हैं

और जहा किताबो की जगह हैं

वो जगह मैंने ले ली है

ये कैसी अदला बदली है .....

Monday, August 23, 2010

रिश्ते की आज़ादी .....


लो कर दिया अब इस रिश्ते को आजाद

जो तेरा और मेरा था

नामो की कैद से आजाद

जो अब उडने लगा है खुले असमान मै

अपने वही खूबसूरत पंख फैला कर


देर तक इन्हे पिंजरों मै

हिफाज़त से बांध रखा था मैंने

अपने वही रिश्ते को

पिंजरों से सर पटकते पाया जब

इनके लहूलुहान माथो ने ...

और आप की घुटन ने

समझाया मुझे

की बहार खुले असमान मै

ज़ख्म तो इन्हे लगेगे ही

पर ... वे भरेगे भी

पर रूह तो ज़ख़्मी नहीं होगी ....

Palak






Sunday, August 22, 2010

याद .....!!


यहाँ मेरे अस पास
छूट गया था कुछ उस का
ऐसे उस ने मुझे कभी बताया था
चाय की प्याली पर कुछ निशान
जहा हम मिला करते थे
बैठे की जगह पर उस की हलकी सी छुवन
अस पास की हवाओ मै
घुली हुए सी कुछ बातें
लहराती हुए सी वो ठिठोली

यही सब था वैसे कुल मिला कर
और वही सब अब कविताकी पोटली मै बांध कर
सोप दिया उस ने मुझे अब
ताकि मन के बटुवे मै संजो
कुछ लव्जो को पिरो कर
उस की याद को जिन्दा रखु
पलक










Sunday, August 15, 2010


आज़ाद हिंद में हैं हम फिर भी गुलाम हैं
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी

अपने घर में डर डर के रहते हैं हम
सम्भाल कर जाना हर इक से कहते हैं हम
जिन नेताओं को सोंपी थी हमने देश की डोर
वो सब के सब निकले इक नंबर के चोर
औरत ही औरत के ज़ुल्मो की गुलाम है
भ्रूण हत्या और दहेज हत्या इस देश में आम है
प्यार करने वाले यहाँ बेमौत मर गए
जाने कितने बच्चे इज्ज़त की भेंट चढ़ गए
तुम्ही कहो फिर कहाँ से आज़ाद हैं हम
अपने देश में अपने ही लोगो के हाथो बर्बाद हैं हम
ये मै नहीं कहती ये तौ आम आदमी की जुबां है
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी

Monday, August 9, 2010

माँ....!!!!


कितनी गहराई है इस शब्द में .... माँ.... इश्वर का सब से खबसूरत वरदान... एक कविता पढ़ी कही उस से ये लिखने की प्रेरणा मिली..... हा कही ये भी एहसास है की ये शब्द मेरी जिन्दगी मै बहोत पहले ही चला गया है इस लिए शायद इस का सही अर्थ समज नहीं पाई कभी ... पर कोशिश की है की इस से जुड़े एहसास को यहाँ जिवंत कर पाऊ..... !!!!


इश्वर का एक रूप है माँ
ममता का वरदान है माँ
एक बच्चे का अभिमान है माँ
क्या ऐसे प्यारी होती है माँ ..... ?

इस श्रुष्ठी की रचिता है माँ
जीवन की शुरुआत है माँ
प्यार की दौलत लुटा देती है माँ
क्या ऐसी प्यारी होती है माँ ..... ?

प्यार की ठंडी फुहार होती है माँ
जीवन मै पतवार होती है माँ
अंधेरे मै प्रकाश होती है माँ
क्या ऐसी होती है माँ ..... ?

जग के सारे तीर्थ होती है माँ
संसार मै सब से बढ़ कर होती है माँ
सच कहू तो भगवान है माँ
गुनाह किया जो इश्वर से तुलना की
पर कान्हा की भी तो यशोदा थी माँ
इश्वर को भी संभालती है माँ....
क्या यही होती है माँ...?
नहीं पता कैसी होती है माँ ....
पलक

Sunday, August 8, 2010


हमारा मिलना शायद एक पल के लिए था मगर वो पल मेरी जिन्दगी का सब से हसीं पल था ........उस दिन के बाद आप हमेशा हमेशा के लिए मेरे हो गए और मै आप की ... मुझे लगा की मैंने उम्र भर के लिए प्यर को पा लिया .... क्या कहू समज नहीं आ रहा पर जैसे जैसे दिन गुज़र रहे है वैसे ही हर पल हर लम्हे मै आप को वो पिछले लम्हे से ज्यादा प्यार करने लगती हु..... आप को कैसे कहू की मुझे क्या एकसास होते है , जरा देखो तो मुझे -- क्या ये खवाबो की दुनिया तो नहीं.... ? मै आप को चाहती हु ये शायद कही छोटे पड़ जाते है प्यार के ढाई अक्षर के आगे .... जानती हु हम कभी एक नहीं होगे मगर आप को उही उम्र भर चाहुगी सदा... वो आप का कहना की सब ठीक हो जायगा ..या ये कहना की तुम से मै जिन्दा हु ... यही मेरी जिन्दगी की अमानाते है ... एक पल का प्यार.... एक पल की मुलाकात.... बस यही तो अमानाते है .......
पलक ........!!!!!!!

Saturday, August 7, 2010




में ने कहा वो अजनबी है
दिल ने कहा ये दिल की लगी है
में ने कहा वोह सपना है
दिल ने कहा फिर भी वो तेरा अपना है
में ने कहा वोह दो पल की मुलाक़ात है
दिल ने कहा वोह सदियों का साथ है
में ने कहा वोह मेरी हार की कहानी है
दिल ने कहा येही तो प्यार है

Friday, August 6, 2010

कसम ले लो...!!!!


इक पल भी चैन से गुज़रा हो तो
"कसम ले लो"

सिवाए यादों के कोई और सहारा हो तो
"कसम ले लो"

पहले तो बात और थी जो तुम पे हक जताती थी
अब खुद पर भी कोई हक हमारा हो तो
"कसम ले लो"

तुम ही ने कहा थी के तुम्हारे लबों पर मेरा ही नाम आये
उस के बाद जो लिया हो नाम किसी का तो
"कसम ले लो"

Wednesday, August 4, 2010

तुजे चाहने की कोशिश ....

आज बीते हुए पालो को जब हम ने मुड के देखा तो ... रेत पर पड़े हुए वो हमें जिन्दा मिले। लगा था कभी की वो वही दफ़न हो गए है पर आज मुड कर देखा तो साँस अब भी बाकि थी , उन्ही पालो को आज समेटा और एक कहानी बना ली हैं ... और आज वही ख्याल लव्जो मै उतर आये है यहाँ , पल पल तेरी याद आई ..वो याद जब एक तड़प बन गई तो हम ने उस को एक नाम दे दिया ... वही नाम आज मेरे जीने का मकसद है .... मेरा अक्स है ... वही मेरी पहचान है , लोग मुझे दीवानी कहते है या तो तेरा नाम साथ मै जोड़ लेते है ..क्या कहू इसे अपनी शोहरत या अपनी रुसवाई ... ये तो खामोश इबदाद है तुजे बेइंतहा चाहने की......


palak.......!!!!!!









Monday, August 2, 2010

वो शक्श ....!!!


ये भीगी शामो का गहराता हुआ सन्नाटा कहा ले जा रहा है ...... कुछ अनकही कहानियो को बया कर रहा है , मै तलाशती उसे हर हवा के जोके मै... कानो मै जैसे वही हवाए सरगोशियाँ कर रही थी ... कही मुड के देखा तोह कोई ना था वह पर फिर भी ना जाने क्यों उसके होने का एहसास छुआ जा रहा था..... वो एहसास बंध पलकों के नीचे एक याद बन कर मचल सा गया ..... वो शक्श याद बन कर रुला सा गया.....


पलक