Sunday, May 30, 2010





दर के उल्फत के इरादे पे ज़रा फिर सोच ले,

में चली जाउंगी और तु देखता रह जायेगा ,

ये नहीं कहते की तुझ बिन जी नहीं पायेंगे हम,

हाँ मगर जिंदगी में एक कमी रह जाएगी,

प्यार के सदके ये लगता है हमारे दरमियाँ,

और कुछ ना भी रहे तो ये दोस्ती रह जाएगी,

में तो तय कर के चली जाउंगी दुनिया के सफ़र से ..

मेरे बारे में ये दुनिया सोचती रह जाएगी,

में अगर ना भी रहू, तो ये शायरी रह जाएगी………

Palak

Monday, May 24, 2010


पनाहों मै जो आया हो उस पर वार क्या
जो दिल से हारा हुआ हो फिर उस पर अधिकार क्या करना
महोब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश मै हैं
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना

Friday, May 21, 2010

वो सिर्फ मेरा हों......

Image and video hosting by TinyPic



कोई तो हो ऐसा जो सिर्फ मेरा हो

बातों में उसकी खुशबू हो
दिल में उसका बसेरा हो
चाहे तो सिर्फ चाहत मेरी
मांगे तो सिर्फ मोहब्बत मेरी

वो चाँद की चांदनी हो तो
चाँद सिर्फ मेरा हो

वो दिन की रौशनी हो तो
सूरज सिर्फ मेरा हो

वो फूलों की खुशबू हो तो
एहसास सिर्फ मेरा हो

वो रात का उजाला हो तो
चाँद सिर्फ मेरा हो

वो पानी की बूँद हों तो
दरिया सिर्फ मेरा हो

वो किस्मत की लकीर हो तो
हाथ सिर्फ मेरा हों

वो इश्क और महोब्बत हो तो
दिल सिर्फ मेरा हो

पलक

वो इश्क और महोब्बत हों तो
दिल सिर्फ मेरा हों

पलक

Wednesday, May 19, 2010


पुछा हमने उनसे के ...... रूह जिस्म से कैसे नकलती है ?
मेरे हाथों से उसने अपना हाथ छुड़ा कर दिखा दिया,


पुछा हमने उनसे के ....... हर तरफ ये तन्हाई सी कैसी लगती है?
भरी महफ़िल से उसने खुदको उठा कर दिखा दिया,


पुछा हम ने उन से ..... के वो कोन सी है रौशनी जिसे कोई हवा ना बूजा सकी,
दिया उसने अपनी मोहब्बत की वफ़ा का जला कर दिखा दिया,


पुछा हम ने उनसे ...... के आखिर ये मोहब्बत है ही क्या चीज़ जिसे दीवानगी कहते है,
हसते हुए खुदको मिटाकर उसने मोहब्बत का मतलब समझा दिया…

Monday, May 17, 2010

रिश्तों की अनकही .....


मीलों मील चलने वाले रिश्ते
कच्चे नाज़ुक धागों से टिकते है

धुप, छाव , रंग, में पलते रिश्ते
तूफ़ान आने पर बिखरते है

रुख हवाओं का मुडने पर जान के दुश्मन
मौसम बदलने पर पाक दिल फ़रिश्ते है

किसी मोड़ पर अजनबी से रिश्ते
मंजिल तक रेंगकर थकते रिश्ते है

कहीं दिल मिलकर मुकम्मल से
कहीं बिखरे आइने के किश्ते है

ज़िन्दगी में सेंकडो रूहों से जुड़ ने वाले
मौत पर दम तोडते हुए, रिश्ते आखिर रिश्ते है ...

Friday, May 14, 2010

बूँद .....




कभी रुक रुक के बही आँख से
निकल के कोई "बूँद"

कभी छलक के पलक से
गिरी कोई "बूँद"

गिरी जब कभी आँख से
दामन पे रुकी आके
न सिर्फ दामन को
मन को भी भीगा गयी "बूँद" ....

कभी ख़ुशी में आँखें नाम हुई
कभी गम से बोझिल हो के भीगी
कभी बेरुखी से साकी की
कभी प्यार पा के बही "बूंद"

उतार गई प्यार का
वो सारा कच्चा रंग
सोचा नहीं था जो
वो कर गई एक "बूँद"...

पलक

Thursday, May 13, 2010

तुज से बिछड़ के....




याद है आखिरी बार

जब मैं तुमसे लिपट के

जी भर के रोई थी

की मुझे छोड़ के मत जाना

मैं जी नही पाऊँगी॥


और मेरे आंसू पोछतें हुए तुमने कहा था

की मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ
और आज के बाद कभी रोना मत

मैं तुम्हारी आंखों में आंसू

देख नही सकता ...

आज वो सब याद करती हूँ...

तो सोचती हूँ ....

कितना बदल गया सब कुछ

जो आंसू तुम्हे अच्छे नही लगते थे

वही छोड़ गए तुम
मेरी आंखों में

और ......तुमसे बड़ी तो बेवफा मैं निकली

की आज तक जिंदा हूँ

"तुमसे बिछड़ के मैं "... PG

लौट आओ .. !!!!!


धड़कते दिल के पैगाम सुनो आज.....

की एक मुद्दत हुई तुम्हे ये राज जताते हुए...

एक शाम मेरे नाम करो आज...

की एक अरसा हुआ तुझे पास बुलाते हुए...

हो सके तो मुझे एक महफ़िल देदो...

की उब चुके हैं उम्र यु ही तनहा बिताते हुए...

गर तुम आ सको तो लौट आओ मेरी जिंदगी में...

की ख़तम हो रहे हैं अब सब बहाना-इ-जिंदगी.. आजमाते हुए... पलक .... PG

Wednesday, May 12, 2010

प्यार किसे तुम कहते हो?


खामोश जुबां के लफ़्ज़ों में
कुछ पोशीदा सी बातें है

इन पोशीदा सी बातों में
कुछ चाहत की बरसातें हैं

इन बातों को हम मुद्दत से
सीने में छुपाये बैठे हैं

कुछ पाए बिना कुछ खो देना
ये प्यार में हम ने सीखा है

सूरज में, चाँद सितारों में
हर शय मैं तुम्ही को देखा है

ये प्यार नहीं तो तुम्ही कहो…
फिर प्यार किसे तुम कहते हो???


palak ( PG )

Thursday, May 6, 2010

ये तेरा एहसास ..!!!


संभाले ना संभले है मेरी आरजू
एक तेरे मिलने की आस बहुत

हैं मचलती साँसों के तकाजे कई
एक तेरी साँस का एहसास बहुत

हसरतों की अजी बात क्या पूछिये
सदियों तक रही इन की प्यास बहुत

मिल जाती अगर मांगने से हमें
वो मोहब्बत ना आती रास बहुत

तोहफा गुलाबों का किस किस से मिला
सदिओं महकता रहा यह एहसास बहुत

रुके थे लबों पर फ़साने कई
ख़ामोशी की अदा थी ख़ास बहुत

PG

Wednesday, May 5, 2010

आगोश......!!!!


आज बादलों को चाँद की आगोश मैं सोते देखा
तारों को भरी रात मैं रोते देखा

जिसे चाह एक मुद्दत बीतने तक
आज मैं ने उसे किसी और का होते देखा

जिस की..........आरज़ू मैं मैंने उम्र गवा दी
उस को सीप के साथ गहराईयों मैं खोते देखा

जिस मोती को संभाले रखा था अपना मुक्कद्दर जान कर
किसी और को वो ही मोती अपने हार मैं पिरोते देखा ...!!!!!
PG