Thursday, August 26, 2010

अदला बदली


सुना हैं की मेरी किताबे आज कल

तुम्हारे बिस्तर पर सोने लगी है

और मेरा अधिक समय अब

किताबघर में गुज़रने लगा है

जहा मुझे होना चाहिए था

वहा मेरी किताबे पहोच गई हैं

और जहा किताबो की जगह हैं

वो जगह मैंने ले ली है

ये कैसी अदला बदली है .....

4 comments:

दीपक बाबा said...

वह साहिब.......... कहाँ की जुगत कहाँ भिडाई है.

Raj said...

Bahut achha likha hai aapne...aapki soch sach mein "sundar" hai.....

Ise "duriya" kahein ya "najdikiya".....pata nahi...magar...shayad...yeh "duriya" woh "najdikiya" se jyaada achhi hai !!!

Vinashaay sharma said...

मेरी जगह किताबों ने ले ली,बहुत अच्छा कहा ।

संजय भास्‍कर said...

अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.