Saturday, August 28, 2010
Thursday, August 26, 2010
अदला बदली
Monday, August 23, 2010
रिश्ते की आज़ादी .....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0sh0BGFE7nYI_gjSuYBJUWWJgsX9ZurJiRqNsHT58smuYy7laPdz1b_GbIJerAjq_8eJW1NqYGHkeKBHfkUBo69AYM_yy9r7tJOkqh-bac_W7Z95WX2yoS_032o303GxtERKxNIAGSrg/s400/n69433719834_1527464_7801096.jpg)
लो कर दिया अब इस रिश्ते को आजाद
जो तेरा और मेरा था
नामो की कैद से आजाद
जो अब उडने लगा है खुले असमान मै
अपने वही खूबसूरत पंख फैला कर
देर तक इन्हे पिंजरों मै
हिफाज़त से बांध रखा था मैंने
अपने वही रिश्ते को
पिंजरों से सर पटकते पाया जब
इनके लहूलुहान माथो ने ...
और आप की घुटन ने
समझाया मुझे
की बहार खुले असमान मै
ज़ख्म तो इन्हे लगेगे ही
पर ... वे भरेगे भी
पर रूह तो ज़ख़्मी नहीं होगी ....
Palak
Sunday, August 22, 2010
याद .....!!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhULM0vLQjtySwZlB0CuLaD13K42JhrWKolyvYz4Z9F0v62SDR2KJxT5QR3Bk2Coj1qbGXwxHHgxp8YC3BWChYBaSYECaEBWTp4cLl2gV6bui852FePVd7WiIJWjBR7CtCK27hNTUK-6OY/s400/Forever_Yours____by_VisionPhotography+copy.jpg)
यहाँ मेरे अस पास
छूट गया था कुछ उस का
ऐसे उस ने मुझे कभी बताया था
चाय की प्याली पर कुछ निशान
जहा हम मिला करते थे
बैठे की जगह पर उस की हलकी सी छुवन
अस पास की हवाओ मै
घुली हुए सी कुछ बातें
लहराती हुए सी वो ठिठोली
यही सब था वैसे कुल मिला कर
और वही सब अब कविताकी पोटली मै बांध कर
सोप दिया उस ने मुझे अब
ताकि मन के बटुवे मै संजो
कुछ लव्जो को पिरो कर
उस की याद को जिन्दा रखु
पलक
Sunday, August 15, 2010
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjCchQPcsWEU4NaG43j-I8PbB_ILgzqeP8XuQq0ulp4BIUqrh00o0ZoXl6ejqx_Kmr8PSt735jBeMLS3bgzdwHaL5OmrvwIJisIquMpja5jVuj4RkOKcxC-lAzsoYrRrtMTlBDZLBqN_3A/s400/Mother%2520land.jpg)
आज़ाद हिंद में हैं हम फिर भी गुलाम हैं
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी
अपने घर में डर डर के रहते हैं हम
सम्भाल कर जाना हर इक से कहते हैं हम
जिन नेताओं को सोंपी थी हमने देश की डोर
वो सब के सब निकले इक नंबर के चोर
औरत ही औरत के ज़ुल्मो की गुलाम है
भ्रूण हत्या और दहेज हत्या इस देश में आम है
प्यार करने वाले यहाँ बेमौत मर गए
जाने कितने बच्चे इज्ज़त की भेंट चढ़ गए
तुम्ही कहो फिर कहाँ से आज़ाद हैं हम
अपने देश में अपने ही लोगो के हाथो बर्बाद हैं हम
ये मै नहीं कहती ये तौ आम आदमी की जुबां है
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी
सम्भाल कर जाना हर इक से कहते हैं हम
जिन नेताओं को सोंपी थी हमने देश की डोर
वो सब के सब निकले इक नंबर के चोर
औरत ही औरत के ज़ुल्मो की गुलाम है
भ्रूण हत्या और दहेज हत्या इस देश में आम है
प्यार करने वाले यहाँ बेमौत मर गए
जाने कितने बच्चे इज्ज़त की भेंट चढ़ गए
तुम्ही कहो फिर कहाँ से आज़ाद हैं हम
अपने देश में अपने ही लोगो के हाथो बर्बाद हैं हम
ये मै नहीं कहती ये तौ आम आदमी की जुबां है
कहा है वो नाम जिस को कहते है आज़ादी
Monday, August 9, 2010
माँ....!!!!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiACwsDtdco52pIkMvIvxuq-AlvcT_QT1aV-QHn8pnsNQmPUOacTPM6yozHNZsS2MA92vUOIKufnYUTYd-gMdkauHBJ06F8Hn3TvPSkmrlE5TjbCLuLIvoXw_aBlM3CHrEuO6cXGREVoeE/s400/amotheslove32a9c9kj2.jpg)
कितनी गहराई है इस शब्द में .... माँ.... इश्वर का सब से खबसूरत वरदान... एक कविता पढ़ी कही उस से ये लिखने की प्रेरणा मिली..... हा कही ये भी एहसास है की ये शब्द मेरी जिन्दगी मै बहोत पहले ही चला गया है इस लिए शायद इस का सही अर्थ समज नहीं पाई कभी ... पर कोशिश की है की इस से जुड़े एहसास को यहाँ जिवंत कर पाऊ..... !!!!
इश्वर का एक रूप है माँ
ममता का वरदान है माँ
एक बच्चे का अभिमान है माँ
क्या ऐसे प्यारी होती है माँ ..... ?
इश्वर का एक रूप है माँ
ममता का वरदान है माँ
एक बच्चे का अभिमान है माँ
क्या ऐसे प्यारी होती है माँ ..... ?
इस श्रुष्ठी की रचिता है माँ
जीवन की शुरुआत है माँ
प्यार की दौलत लुटा देती है माँ
क्या ऐसी प्यारी होती है माँ ..... ?
प्यार की ठंडी फुहार होती है माँ
जीवन मै पतवार होती है माँ
अंधेरे मै प्रकाश होती है माँ
क्या ऐसी होती है माँ ..... ?
जग के सारे तीर्थ होती है माँ
संसार मै सब से बढ़ कर होती है माँ
सच कहू तो भगवान है माँ
गुनाह किया जो इश्वर से तुलना की
पर कान्हा की भी तो यशोदा थी माँ
इश्वर को भी संभालती है माँ....
क्या यही होती है माँ...?
नहीं पता कैसी होती है माँ ....
पलक
Sunday, August 8, 2010
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3xr8v1tafIVmx3Q9DzU6AkjWMChofGLeLtfl1Bfv4WEbykjdngxcEZtq5sN-sa6krPAY7g1h01pjt-SWYTHwBLeoGe3FzrqDE97wtEBNYtLIwJTVx-IgDJhfkk_GDO9qv2ol4FqHEHsw/s400/6650af66cafc4b2c20e780963f156f7b.jpg)
हमारा मिलना शायद एक पल के लिए था मगर वो पल मेरी जिन्दगी का सब से हसीं पल था ........उस दिन के बाद आप हमेशा हमेशा के लिए मेरे हो गए और मै आप की ... मुझे लगा की मैंने उम्र भर के लिए प्यर को पा लिया .... क्या कहू समज नहीं आ रहा पर जैसे जैसे दिन गुज़र रहे है वैसे ही हर पल हर लम्हे मै आप को वो पिछले लम्हे से ज्यादा प्यार करने लगती हु..... आप को कैसे कहू की मुझे क्या एकसास होते है , जरा देखो तो मुझे -- क्या ये खवाबो की दुनिया तो नहीं.... ? मै आप को चाहती हु ये शायद कही छोटे पड़ जाते है प्यार के ढाई अक्षर के आगे .... जानती हु हम कभी एक नहीं होगे मगर आप को उही उम्र भर चाहुगी सदा... वो आप का कहना की सब ठीक हो जायगा ..या ये कहना की तुम से मै जिन्दा हु ... यही मेरी जिन्दगी की अमानाते है ... एक पल का प्यार.... एक पल की मुलाकात.... बस यही तो अमानाते है .......
पलक ........!!!!!!!
Saturday, August 7, 2010
Friday, August 6, 2010
कसम ले लो...!!!!
Wednesday, August 4, 2010
तुजे चाहने की कोशिश ....
आज बीते हुए पालो को जब हम ने मुड के देखा तो ... रेत पर पड़े हुए वो हमें जिन्दा मिले। लगा था कभी की वो वही दफ़न हो गए है पर आज मुड कर देखा तो साँस अब भी बाकि थी , उन्ही पालो को आज समेटा और एक कहानी बना ली हैं ... और आज वही ख्याल लव्जो मै उतर आये है यहाँ , पल पल तेरी याद आई ..वो याद जब एक तड़प बन गई तो हम ने उस को एक नाम दे दिया ... वही नाम आज मेरे जीने का मकसद है .... मेरा अक्स है ... वही मेरी पहचान है , लोग मुझे दीवानी कहते है या तो तेरा नाम साथ मै जोड़ लेते है ..क्या कहू इसे अपनी शोहरत या अपनी रुसवाई ... ये तो खामोश इबदाद है तुजे बेइंतहा चाहने की......
palak.......!!!!!!
Monday, August 2, 2010
वो शक्श ....!!!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhYLM5KcrsjiMt9WCZ8F2gtXC3r0avquD4iwTyWaxYQhrznS93sdl7R2BVZEEBGJjSOQL06-Rdo5vp96MgRA2p9nnW4Ovx029slKw9vdtCMh65OxueAi6GeEkYceIniZYOSNAGdc5_47R8/s400/loneliness-2.jpg)
ये भीगी शामो का गहराता हुआ सन्नाटा कहा ले जा रहा है ...... कुछ अनकही कहानियो को बया कर रहा है , मै तलाशती उसे हर हवा के जोके मै... कानो मै जैसे वही हवाए सरगोशियाँ कर रही थी ... कही मुड के देखा तोह कोई ना था वह पर फिर भी ना जाने क्यों उसके होने का एहसास छुआ जा रहा था..... वो एहसास बंध पलकों के नीचे एक याद बन कर मचल सा गया ..... वो शक्श याद बन कर रुला सा गया.....
पलक
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