Wednesday, July 28, 2010


आँखों पे जब से पड़ गयी नज़रें फरेब की

आंसू हमारे और भी नमकीन हो गए

तुमने हमारे दर्द की लज्ज़त नहीं चखी

जिसने चखी वो दर्द के शौक़ीन हो गए

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

bahut khoob ...........me to fan ho gaya apka Palak ji

संजय भास्‍कर said...

वाह Plak जी सीधा दिल से लिखा।