बस इतना सा याद रख मुझे जैसे किसी किताब मै किसी पुराणी सी याद ताज़ा करता हुआ कोई पुराना सा ख़त पड़ा हुआ मिले ....लव्ज़ मिटे मिटे से हो ...रंग उतरा उतरा हुआ सा हो ..देखते ही उसे तुजे वो अजनबी सा ना लगे ... भूले हुए से वो तमाम दुःख और गुजरे हुए वो तमाम सुख का अफसाना हो ... मिला जुला सा तेरा चेच्रा हर वो बात बयां कराय जो कभी तुने जीया हो ... हर वो पल तुज से कहे और तू रो पड़े...बस इतना सा याद रखना मुझे .... पलक
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2 comments:
अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
... हर वो पल तुज से कहे और तू रो पड़े...बस इतना सा याद रखना मुझे .... पलक
...गजब कि पंक्तियाँ हैं ...
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