Wednesday, May 5, 2010

आगोश......!!!!


आज बादलों को चाँद की आगोश मैं सोते देखा
तारों को भरी रात मैं रोते देखा

जिसे चाह एक मुद्दत बीतने तक
आज मैं ने उसे किसी और का होते देखा

जिस की..........आरज़ू मैं मैंने उम्र गवा दी
उस को सीप के साथ गहराईयों मैं खोते देखा

जिस मोती को संभाले रखा था अपना मुक्कद्दर जान कर
किसी और को वो ही मोती अपने हार मैं पिरोते देखा ...!!!!!
PG


2 comments:

Anonymous said...

आँख से बहते आँसू नज़र आते है खूब
जो खून बह रहा दिल से किसको दिखलाऊं मैं
बेसुध पड़ी हूँ कहीं यह तो जानते हैं सब
जो बीत रहा मुझ पे किसको दिखलाऊं मैं

~Pearl...

Anonymous said...

har poem tumhari mujhe apne dil ke bahut kareeb si lagti hai...shabdon ki sachai jivan ki kadvi sachai ko apni komalta mein chupa jaye hai...sach kehna kitna mushkil hota hai na..but do it so simply...kp writing..snkr..