Thursday, July 29, 2010

उंगलियाँ ...!!!


जब नाम तेरा प्यार से
लिखती हैं उँगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने की
उठती हैं उँगलियाँ
दामन तेरा मेरे हाथ
मैं आया था इक पल
दिन रात उस ही पल से
महेकती है उँगलियाँ
जिस दिन से दूर हो गए
उस दिन से ही हम
बस दिन तुम्हारे आने
के गिनती हैं उँगलियाँ
पत्थर को तराश कर
ना बन पाया एक ताज नया
बस फनकार की जहाँ मै कट जाती है उँगलियाँ

Wednesday, July 28, 2010


आँखों पे जब से पड़ गयी नज़रें फरेब की

आंसू हमारे और भी नमकीन हो गए

तुमने हमारे दर्द की लज्ज़त नहीं चखी

जिसने चखी वो दर्द के शौक़ीन हो गए

Tuesday, July 27, 2010


शब् भर तुम्हारी याद मै ऐसे जागते है हम
के चाँद के साथ टहलते रहते हैं हम
जब बिस्तर की सिलवटों को महसूस किया
तोह लगा जैसे
कुछ देर पहले
यहाँ से उठ कर गए हो तुम
पलक

किस कदर टूकड़ो मै बटा हमारा हिंदुस्तान.....


मौलवी पंडित परेशान आदमी परेसान हे
मुल्क मे चारो तरफ इंसानियत हैरान हे

कागजों के देश का नक्षा बदलता जा रहा हे
किस कदर टुकड़ों में बिखरा अपना हिन्दोस्तान हे

फासला बढता नज़र आने लगा हे किस तरह
फिर नयी इक जुंग की खातिर सजा मैदान हे

दब रहे आतंक में सब लोग सहमे हुए
कैसे कह दे रहनुमा हालात से अनजान हे

सरफरोशी की जिन्होने उनकी यादें रह गयी
आसनों पर वोह हे जिनकी कुर्सियां ईमान हे

कांपती दीवार उड़ाते कैलेंडर बतला रहे
साथियों !! इस और आ रहा कोई तूफ़ान हे

Sunday, July 25, 2010

Until U Return....!!!!


You have always done so much for me
I miss your love and tender embrace
The love you express is genuine
Memories of you, I cannot erase.

I miss your eyes of unspoken love
They sparkle as diamonds in the sun
Your smiles will never be forgotten
I think of you 'til the day is done.

Your gentle touch is greatly missed
The words of love you've always spoken
Will be held forever in my heart
The bond we have cannot be broken.

I will always love only you dear
I'll be waiting 'til you again return
Time is passing very slow each day
There's so much I still must learn.

The friendship you and I still share
Quickly blossomed into true love
Our hearts blend when we're together
Our love is given from God above.

You're Special and I miss you!

Friday, July 23, 2010

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बारिश की इन बूंदों ने जब दस्तक दी दरवाज़े पर

मेहसूस हुआ ....तुम आये हो ......अंदाज़ तुम्हारे जेसा था..

हवा के हलके झोंके ने जब आहट की खिड़की पर ..

मेहसूस हुआ ....तुम चले हो ....... अंदाज़ तुम्हारे जेसा था..

मैंने बूंदों को अपने हाथ पर टपकाया तो..

एक सर्द सा एहसास हुआ..... स्पर्श तुम्हारे जेसा था..

मैंने तनहा चली जब बारिश मैं एक झोंके ने साथ दिया..

मैंने समझा तुम साथ हो मेरे ...... एहसास तुम्हारे जेसा था

फिर रुक गई वों बारिश ना रही वों बाकी आहट भी ..

मैं समझी मुझे ....तुम छोड़ गए ....अंदाज़ तुम्हारे जेसा था

Tuesday, July 20, 2010

इतना तोह याद रख...


बस इतना सा याद रख मुझे जैसे किसी किताब मै किसी पुराणी सी याद ताज़ा करता हुआ कोई पुराना सा ख़त पड़ा हुआ मिले ....लव्ज़ मिटे मिटे से हो ...रंग उतरा उतरा हुआ सा हो ..देखते ही उसे तुजे वो अजनबी सा ना लगे ... भूले हुए से वो तमाम दुःख और गुजरे हुए वो तमाम सुख का अफसाना हो ... मिला जुला सा तेरा चेच्रा हर वो बात बयां कराय जो कभी तुने जीया हो ... हर वो पल तुज से कहे और तू रो पड़े...बस इतना सा याद रखना मुझे .... पलक

Sunday, July 18, 2010

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगों मैं साहस भरता है,
चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है,
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हर नहीं होती।

डुबकियां सिन्धुमें गोताखोर लगता है,
जा जा कर खालीहाथ लौटकर आता है,
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में,
मुट्ठी उसकी खाली हरबार नहीं होती,
कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।

असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम,
संघर्षोंका मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ किए बिना ही जयजयकार नही होती,
कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।


- कवि श्री हरिवंशराय बच्चन

Friday, July 16, 2010

बिदाई ....


“आज दुल्हन के लाल जोड़े में,
उसे उसकी सहेलियों ने सजाया होगा

मेरी जान के गोरे हाथों पर
सखियों ने मेहँदी को लगाया होगा

बहुत गेहरा चडेगा मेहँदी का रंग,
उस मेहँदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा

रह रह केर रो पड़ेगी
जब जब उसको ख्याल मेरा आया होगा

खुद को देखेगी जब आईने में,
तो अक्स उसको मेरा भी नज़र आया होगा

लग रही होगी बला सी सुंदर वोह,
आज देख केर उसको चाँद भी शरमाया होगा

आज मेरी जान ने
अपने माँ बाप की इज्ज़त को बचाया होगा

उसने बेटी होने का
दोस्तों आज हर फ़र्ज़ निभाया होगा

मजबूर होगी वोह सबसे ज्यादा,
सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा

अपने हाथों से उसने
हमारे प्रेम के खतों को जलाया होगा

खुद को मजबूत बना कर उसने
अपने दिल से मेरी यादों को मिटाया होगा

भूखी होगी वोह जानता हूँ में,
कुछ न उस पगली ने मेरे बगैर खाया होगा

कैसे संभाला होगा खुदको
जब उसे फेरों के लिए बुलाया होगा

कांपता होगा जिस्म उसका,
हौले से पंडित ने हाथ उसका किस्सी और को पकडाया होगा

में तो मजबूर हूँ पता है उसे,
आज खुद को भी बेबस सा उसने पाया होगा

रो रो के बुरा हाल हो गया होगा उस का ,
जब वक़्त उसकी विदाई का आया होगा

बड़े प्यार से मेरी जान को
माँ बाप ने डोली में बिठाया होगा

रो पड़ेगी आत्मा भी
दिल भी चीखा और चिलाया होगा

आज अपने माँ बाप के लिए
उसने गला अपनी खुशियों का दबाया होगा

रह न पाएगी जुदा होकर मुझसे
डर है की ज़हर चुपके से उसने खाया होगा ”


%%%% Fact of many Love Stories %%%%