संभाले ना संभले है मेरी आरजू
एक तेरे मिलने की आस बहुत
हैं मचलती साँसों के तकाजे कई
एक तेरी साँस का एहसास बहुत
हसरतों की अजी बात क्या पूछिये
सदियों तक रही इन की प्यास बहुत
मिल जाती अगर मांगने से हमें
वो मोहब्बत ना आती रास बहुत
तोहफा गुलाबों का किस किस से मिला
सदिओं महकता रहा यह एहसास बहुत
रुके थे लबों पर फ़साने कई
ख़ामोशी की अदा थी ख़ास बहुत
एक तेरे मिलने की आस बहुत
हैं मचलती साँसों के तकाजे कई
एक तेरी साँस का एहसास बहुत
हसरतों की अजी बात क्या पूछिये
सदियों तक रही इन की प्यास बहुत
मिल जाती अगर मांगने से हमें
वो मोहब्बत ना आती रास बहुत
तोहफा गुलाबों का किस किस से मिला
सदिओं महकता रहा यह एहसास बहुत
रुके थे लबों पर फ़साने कई
ख़ामोशी की अदा थी ख़ास बहुत
PG
2 comments:
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक...
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