डरा सा बैठा है सीने में कहीं एक ख्याल तेरा...
फिर कभी यूँ आंसुओं में बह जाता है अरमान मेरा...
चुप है आज जिन्दगी मेरी....
चुप सा है आज आसमान मेरा..
ढूढती फिरती हूँ बीते हुए लम्हों में तुझे....
आँखों में आज भी है इन्तेजार तेरा...
फिर कभी यूँ आंसुओं में बह जाता है अरमान मेरा...
चुप है आज जिन्दगी मेरी....
चुप सा है आज आसमान मेरा..
ढूढती फिरती हूँ बीते हुए लम्हों में तुझे....
आँखों में आज भी है इन्तेजार तेरा...
ऐ जाने वाले एक बार तो समज ...
ये अधुरा सा प्यार मेरा.....!!
ये अधुरा सा प्यार मेरा.....!!
7 comments:
बहुत सुन्दर
I always forget to breath without remembering you...
~Pearl...
Wonder ful
Kohre Ka Ab Dil par mere Pehra hai,
Sannato Ki Guftagu Me Koi Shor aa Thehra hai,
Dhoan Hoti Arzo Ki Nahi Koi Panah hai,
Kaise Gira De In Asko Ko Jab Unke Theharne Ki Zameen Tak Ka Nahi kuch Pata Hai,
Lo Tuat Gayi Kuch Aur Purani Einte… Ab Inke Bina Yeh Khandar Dekho Kitna Adhora Hai.
Be-Manzil Raho Par Chalte Rahe Zindagi Bhar… Jab Modkar Dekha To Paya Yeh Safar Kitna Tanha-Tanha Hai,
Mere Dil par Ab Kohre Ka Pehra Hai…
Maaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
well said
पलक जी आपकी इस रचना को कविता मंचपर साँझा किया गया है
कविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.in
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