Sunday, September 21, 2008

तेरी आँखें


महकती है तेरी आँखें
मदहोश करती है क्यो मुझे
सागर से तेरी आँखें
उंस जागती है मुझमे
तकती मुझे तेरी आँखें
इश्क़ का जाम पिलाए मुझे
तेरी आँखें यह तेरी आखें
दीवाना बनती है मुझे ...
*****पलक*****

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया लिखा।
लेकिन क्या कभी कभी यह आँखे डराती नही हैं?:)

Dr. Ravi Srivastava said...

बर्बाद वफ़ा का अफसाना हम,
किस से कहें और कैसे कहें,
खामोश हैं लब और दुनिया को,
अश्कों की जुबां मालूम नहीं.

Anonymous said...

Aankhein Teri Ho, Aansuu Mere Ho..
Dharkan Teri Ho, Saansein Meri Ho..
Chahaat TUm Ho, Aarzoo Tum Ho...
Dil Mera Ho, Jaan Teri Hoon...
Ankhein Teri Ho, Ansuu Meree Hon....


hath mere ho aur taarif tumhari type ho...wah wah..
kya likha hai..great....keep it up...

...raaaj