चाँद के बिन सितारे अधूरे से लगते है
समंदर की गहराई में छुपाया जो खजाना
मोतियो के बिन सीप अधूरे से लगते है
इज़हार करने जाओ जो गम-ए-जमाना
आसुओ के बिन नयन अधूरे से लगते है
महफ़िल में सजाओ जो गीतो का तराना
सुरताल के बिन साज़ अधूरे से लगते है
तुम हमे कितने अज़ीज़ कैसे करे बयान
तुम्हारे बिना हम अधूरे से लगते है...!!
पलक
3 comments:
तुम हमे कितने अज़ीज़ कैसे करे बयान
तुम्हारे बिना हम अधूरे से लगते है...!!
theses lines r really touchy....
Tum bin Pal adhure lagti hai...
Hai na!
Pearl....
Adhoori saans thi…
Dhadkan adhoori thi…
Adhoore hum…
Magar ab chand poora hai falak pe…
Aur ab poore hai hum.
.....
raaaj
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