शाम आ गयी अपने वक़्त से
पर तुम नहीं आये?
बीतने लगी है शाम फिर वक़्त से
तुम अब भी नहीं आये ?
रात ने भी ,अब तो, दस्तक दे दी है
तुम क्यूँ नहीं आये !!
देखो ना, आज नींद ने भी तुमसे दोस्ती की है शायद
कुछ जुदा सी है मुझसे आज वो भी !!
कोई नहीं है पास मेरे तुम्हारे ख्यालों के सिवा
मैं खुश भी हूँ और तन्हा भी ….
पूछ रही है हर पहर मुझसे तुम्हारा ही फ़साना
ये राहें भी जाने क्यूँ गुमसुम सी लगती है
सर उठा के चाँद से तुम्हारा हाल लिया ..
हवाओं को फिर रोक के अपने दिल का संदेस दिया…
जब कोई झोंका आये पास तुम्हारे …
मेरे खामोश दिल की आवाज़ सुन लेना …
एक बात सुनो, तो कुछ मांगू तुमसे !
थोडी सी नींद और कुछ पल तुम्हारे ही…
वक़्त मिले तो ख़्वाबों में ही मिल जाना
दो बातें तुमसे फिर वहीं मैं कर लूंगी...
थोडी सी नींद और कुछ पल तुम्हारे ही…
वक़्त मिले तो ख़्वाबों में ही मिल जाना
दो बातें तुमसे फिर वहीं मैं कर लूंगी...
पलक
9 comments:
palak ki masumiyat si bhawnaa
एक बात सुनो, तो कुछ मांगू तुमसे !
थोडी सी नींद और कुछ पल तुम्हारे ही…
वक़्त मिले तो ख़्वाबों में ही मिल जाना
दो बातें तुमसे फिर वहीं मैं कर लूंगी...
bahut pyaari rachna
नए चिट्ठे का स्वागत है.
निरंतरता बनाए रखें.
खूब लिखें, अच्छा लिखें.
बड़ी वफ़ा से निभा रहा हूँ तुम्हारी थोडी सी बेवफाई.
सलाम-नमस्ते!
ब्लॉग की दुनिया में हार्दिक अभिनन्दन!
आपने अपनी व्याकुलता को समुचित तौर से व्यक्त करने का प्रयास किया hai.
अच्चा लगा, इधर आना.
फुर्सत मिले तो आ मेरे दिन-रात देख ले
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पलक जी, आप की कविता बहुत ही सुंदर है.
एकदम से दिल को छू गई और मुझे पुराने दिनों की ओर खीच ले गई, जब मुझे किसी ने प्यार के लिए आकर्षित किया था फ़िर उसका मुझसे अलग हो जाना आज भी मुझे अकेला और इस जग से पराया कर जाता है, उसके जाते हुए मैंने उससे पूछा था कि मुझमें क्या कमी है ? तो उसने कोई जवाब नहीं दिया.....बस खामोश रही. और मैं तनहा पड़ गया. आप की कविता ने थोड़ा सा भावुक कर दिया था...इसी में लिख गया. ( बड़ी वफ़ा से निभा रहा हूँ तुम्हारी थोडी सी बेवफाई. )
आप की कविता की ये लाइन सबसे अच्छी लगी थी,
एक बात सुनो, तो कुछ मांगू तुमसे !
थोडी सी नींद और कुछ पल तुम्हारे ही…
वक़्त मिले तो ख़्वाबों में ही मिल जाना
दो बातें तुमसे फिर वहीं मैं कर लूंगी...
फ़िर सोचता हूँ कि क्या वो वापस नहीं आएगी जो जा चुकी है.........
जानता हूँ कि जाने वाले कभी नहीं लौटते पर इस दिल का क्या करें हम
कब तक खामोश रहें और सहें हम !!
अगर आपको मेरी टिपण्णी बुरी लगी तो माफ़ी चाहूंगा.
राजीव जी,
आप की टिपण्णी के लिए धन्यवाद् .. आप की टिपण्णी मुझे बिल्कुल बुरी नही लगी बस उस की वजह जान न चाहती थी क्यों की आप की टिपण्णी मुझे समज नही आई थी की आप ने क्यों की .. इसलिए आप को पुछा था उस की वजह .
पलक
एक बात सुनो, तो कुछ मांगू तुमसे !
थोडी सी नींद और कुछ पल तुम्हारे ही…
वक़्त मिले तो ख़्वाबों में ही मिल जाना
दो बातें तुमसे फिर वहीं मैं कर लूंगी...
aapki rachana bahut hi sundar lagi
apne apni bhavnao ko khoobsoorat shabdo k sath vyakt kiya hai.
कोई नहीं है पास मेरे तुम्हारे ख्यालों के सिवा
मैं खुश भी हूँ और तन्हा भी
mai aapki uproKt bat se sahmat nahi hu.aisi sthiti me kya koi bastav me khush ho sakta hai.
अब तो तेरा एहसास कहने के लिए शब्द ही नही बचे हैं ....
यह शब्द भी तेरी ही तरह मुझसे ठिठली कर रहे हैं ....
वोह तुमसे कुछ कहना,हस कर बातें करना आज फिर मैंने याद लिया है....
हाँ मैंने यह सब,तेरे जाने के बाद फिर से जिया है.....
मुझे लगता है ये लाइन सूट करती है इस पोस्ट के लिए...
Pearl...
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