हाँ... मैं अपना वादा निभाऊंगी,
हर हाल में मुस्कुराऊँगी...
पर... एक वादा तुम भी दो...
वादा करो...
जब जब जाओगे... लौट कर आओगे तुम...
मेरे लिए नहीं... तो न सही...
उस माँ के लिए... जिसका छोटा सा संसार हो तुम,
उस बहन के लिए...
जिसकी राखी के कर्जदार हो तुम...।
मेरे लिए नहीं... तो न सही...
उस पिता के लिए...
जो पलकों में छिपाकर आंसू कही,
हर बार तुम्हे विदा करने चले आते हैं...
तुम पढ़ न लो आँखों से दर्द अनकहे,
ये सोच... नज़रे चुराते हैं,
मुड़कर... मन भरकर...
तुम्हे देखने से कतराते हैं...
आंसू कर न दें कमजोर कहीं,
इस डर से... बिन कुछ कहे...
फिर नए इंतज़ार पर निकल जाते हैं...।
तुमने एक यही तो माँगा था, की हंसा करूँ हर हालातों में,
हाँ... मैं हसूँगी, मुस्कुराऊँगी,
तब तक... जब तक तुम वादा निभाओगे...
वादा करो... जब जब जाओगे... तुम लौट कर आओगे..।।
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