तेरी तलाश को अपना मुकाम बना लूँ ....
फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,
तेरी चाहत को अपना विश्वास उढ़ा दूँ ...
फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,
तेरी सोच को अपने शब्दों में ढ़ाल लूँ ...
फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,
तेरे आँचल में अपनी दुनिया बसा लूँ ...
फिर जरा मैं भी जी लूँगा ....,
तेरी रूह में खुद को उतार लूँ ...
संग तेरे फिर , जी भर जियूँगा ....
उम्र भर
2 comments:
बहुत सुन्दर भावों को शब्दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगा,
धन्यवाद संजय जी
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