यादों को देखो आज फिर,
लहराता हुआ आँचल उडा,
सुनाने को मेरे पास नही,
वोह आज भी मुझसे जुदा,
रेत पर थी लिखी मेरी कहानी,
धुप में उसकी चिता जल गई,
जोंका था हवा का अगर वोह,
फिर क्यूँ पत्थर सी यादें बन गई??
लहराता हुआ आँचल उडा,
सुनाने को मेरे पास नही,
वोह आज भी मुझसे जुदा,
रेत पर थी लिखी मेरी कहानी,
धुप में उसकी चिता जल गई,
जोंका था हवा का अगर वोह,
फिर क्यूँ पत्थर सी यादें बन गई??
PG
2 comments:
एक पल जागा एक पल सोया,
न जाने कितने सपने सजोया,
ज़िंदगी भर रहा सपनो मे खोया,
एक पल भुला एक पल याद आया,
तुझ संग बीता हर पल याद आया,
ज़िंदगी भूला मगर तुझे न भूल पाया,
Pearl...
bahut sundar bhaav poorn rahcna , aaj pahli baar main aapke blog par aaya hoon , saaari kavitayeen padi , man ko chooti hui hai .
aap bahut accha likhti hai .
रेत पर थी लिखी मेरी कहानी,
kya khoob likha hai .
badhai ..
Pls visit my blog for new poems..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
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