है क्या हमारा.. ,
कुछ ख्वाहिशों के सिवा,
चंद दिन उधार के,
उस पर कोई हक नहीं
इक वेहेम के सिवा.
किसे अपना समझते है,
यह जिंदगी कुछ नहीं
इक फरेब के सिवा
कुछ ख्वाहिशों के सिवा,
चंद दिन उधार के,
उस पर कोई हक नहीं
इक वेहेम के सिवा.
किसे अपना समझते है,
यह जिंदगी कुछ नहीं
इक फरेब के सिवा
ना कोई था,
ना कोई है, ना कुछ रहेगा
इक ठंडी सी आह के सिवा.
कितनी चोट गिनती करें,
बदन पर कुछ नही रहा ज़क्मो के सिवा,'
हम थक गए
पर वोह नहीं,
सब है उसके पास
इक दिल के सिवा !!
ना कोई है, ना कुछ रहेगा
इक ठंडी सी आह के सिवा.
कितनी चोट गिनती करें,
बदन पर कुछ नही रहा ज़क्मो के सिवा,'
हम थक गए
पर वोह नहीं,
सब है उसके पास
इक दिल के सिवा !!
PG
2 comments:
nakaam hasraton k siwa kuch nahi raha
duniya main ab dukhon k siwa kuch nahi raha
ek umar ho gayee hai k dil ki kitaab main
kuch khushak pattiyun k siwa kuch nahi raha
Pearl...
किसे अपना समझते है,
यह जिंदगी कुछ नहीं
इक फरेब के सिवा ना कोई था,
ना कोई है, ना कुछ रहेगा
इक ठंडी सी आह के सिवा.
कमाल की पंक्तियाँ हैं बहुत कुछ कहे दिया मैं तो चोक उठा ऐसा लगा जैसे मैं ख़ुद को पढ़ रहा हूं बहुत ही प्यारी है सीधे दिल मैं उतरती है....
कितनी चोट गिनती करें,
बदन पर कुछ नही रहा ज़क्मो के सिवा,'
हम थक गए
पर वोह नहीं,
सब है उसके पास
इक दिल के सिवा !!
इनके लिए मुझ पर शब्द नही क्या कहूं कुछ समझ नही आता.....
आप दिल से लिखती हो जब भी लिखती हो..
अक्षय-मन
Post a Comment