यादो के बहाव में बह जाना याद है
छोटी छोटी बातों पे मुस्कुराना याद है
पतझड़ मैं भी लगता था मौसम बहारों का
तुम्हारे इंतज़ार मैं वक्त बिताना याद है
कभी साथ बैठे बैठे युही वक्त बिता देना
कभी मेरी हर बात पर तुम्हारा मुस्कुराना याद है
कभी बिन बताये तुम्हारा सब कुछ कह देना
कभी कह के भी बात छुपाना याद है
कुछ सुन ना चाहते थे हम तुमसे
पर तुम्हारा न कह पाना याद है
अभी तो मिले भी नही थे रास्ते हमारे
यूँ एक मोड़ पर राहों का मुड़ जाना याद है
चाहा था एक कहानी बने हमारी
मगर पन्नो का अचानक बिखर जाना याद है
कहाँनी न सही अफसाना तो बन गया
इस अफ़साने का हर फ़साना मुझे याद है ..PG
from :- khwabon ki nagariya
2 comments:
कुछ सुन ना चाहते थे हम तुमसे
पर तुम्हारा न कह पाना याद है
ye do lines bahot pyari hai!
Pearl...
Hi Pal,
bahut achha hai....
अगर मैं तेरा आसमान नही
तो कोई बात नही
मुझे अपनी ज़मीन बनाकर
अपने पैर टिका ले
भले ही आसमान को तू छू न सके
तेरे पैरों की ज़मी हिलने नही दूंगी
तुझे डगमगाने नही दूंगी
ये वादा है मेरा....
अगर मैं तेरी मंजिल नही
तो कोई बात नही
मुझे अपना रास्ता ही बना ले
तेरी मंजिल से तुझे मिलाने से पहले
तेरा साथ नही छोडूंगी
ये वादा है मेरा....
अगर मैं तेरे जीवन की रौशनी नही
तो कोई बात नही
मुझे अपनी जिंदगी की स्याही बना ले
खुली आंखों से रौशनी में जी ले
जब आँखें थक कर बंद होंगी
तो तू अकेला नही होगा
मैं ही मैं दिखूंगी तुझे
ये वादा है मेरा....
अगर मैं तेरी खुशी नही
तो कोई बात नही
आंसू का कतरा बनाकर
पलकों में छुपा ले
जब खुशी तुझसे रूठेगी
तब तेरे सारे ग़मों को साथ ले
मैं बह निकलूँगी
ये वादा है मेरा.....
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