Tuesday, November 25, 2008

खामोश नगमे ....!!!!!!


कभी गुल ने बुलबुल ने कहा .....
मेरी खामोशी तेरे हज़ार गीतों का जवाब है ...
बुलबुल ने कहा ....
मैने तेरे ही एहसासों को आवाज़ दी ....
तुने कभी सोचा, मेरे उन नगमो का क्या हुआ ...
जो कहे .. न कहे .. कभी लबो तलक आके रह गए ...



पलक ......

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

BrijmohanShrivastava said...

गुल ने बुलबुल "" से "" कहा /
सारगर्भित सम्बेदनशील कथ्य / शब्दों का सुंदर चयन / रिक्त स्थान बहुत कुछ कहरहे हैं

Anonymous said...

Khamoshi ko sune hum dono..
aur pyar ko mahsus kare..

Bune koi khwab naya
aur geet koi gungunaye..

Pearl...

!!अक्षय-मन!! said...

hmmmmmm nice......
aap jante nahi aapne kya likh diya....
ek toote dil ki dhadhkan...
aur khamosh pade hain jo nagme usme pyar ka saaj likh diya....