पहले दिन नज़र मिली
नज़रों का यूं असर हुआ..
दूजे दिन हाथ ने हाथ पकड़ा
जीवनभर का यूं साथ जुड़ा..
तीजे दिन उसके कंधे पर सिर झुकाया
कुछ यूं उसको करीब पाया..
चौथे दिन एकदूजे का झूठा खाना खाया
खाने में कुछ अलग यूं स्वाद आया..
पांचवें दिन आंखों से वो दूर हुआ
दिल का हर कौना चूर चूर हुआ..
छठवें दिन आंसू का कतरा बहाया
यादों में उसकी खुद को तन्हा पाया..
सातवें दिन एक संदेशा आया
ख़त में उसको भी तन्हा पाया..
आंठवें दिन कुछ बात बढ़ी
सर्दियों में भी लगी जैसे सावन की झड़ी..
नवमें दिन इंतज़ार बढ़ा
दिल पर यूं उसका सुरूर चढ़ा..
दसवें दिन दिल ने दस्तक दी
तबसे ज़िन्दगी उसके नाम की..
-Radio(YJ)