सासो का बसर तुम से तुम्ही तक है ,
हा मेरी महोब्बत तुम से तुम्ही तक है ,
जस्बा - ए - इश्क़् सच न होता तो रास्ता बदल लैते ,
मिटे हुए रस्तो का गुजर तुम से तुम्ही तक है ,
मेरे हमसफ़र् इन चहतो के रंगो मै ,
हर रंग मेरा तुम से तुम्ही तक है
आज जिन्दगी से कुछ् यु मुलक़ात् हुए ..
कि लगा जिन्दगी का हर लम्हा ...
तुम से तुम्ही तक है.......
पलक
1 comment:
बहुत ख़ूब ब्लॉग पे वापसी का स्वागत है
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