Wednesday, May 8, 2013


 उस की की आखों मैं महोब्बत की चमक आज भी है…

हालां की उसे मेरी महोब्बत पर शक आज भी है ....

कश्ती  मै बैठ कर धोये थे हाथ मैंने कभी उस के साथ .....

पूरे तालाब मैं मेहँदी की महक आज भी हैं ....

....पल…. 

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर प्रस्तुति बड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है!....aapki ye lines padh ke man ko sukhd ehsaas huya.....dhanywaad......