कोई तुम से पूछे कौन हु मैं
तुम कह देना कोई खास नहीं
एक दोस्त है कच्ची पक्की सी
एक जूठ है आधा अधुरा सा
एक फूल है रुखा सुख सा
एक सपना है बिन सोचा सा
एक अपना है अनदेखा सा
एक रिश्ता है अंजना सा
हकीकत मैं अफसाना सा
कुछ पगली सी कुछ दिवानी सी
बस एक बहाना अच्छा सा
जीवन की ऐसी संगिनी है
जो संगिनी हो कर भी साथ नहीं
तू कह देना कोई खास नहीं
पल
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