Monday, May 20, 2013
 कभी उल्फत भरा लहजा 
कभी उतरा हुआ चेहरा 
समज मैं नहीं आता 
बता मेरा गुनाह क्या है ..??
मेरी उलझन मिटा  दे 
मुझे इतना बता तोह दे 
मैं  मुजरिम हु 
या मेहराम हु 
मेरी सजा क्या हैं ??
मेरी जज़ा क्या है ?? 
मेरी सांसे तो चलती हैं 
तेरी यादों से ऐ ह्मदम 
मेरा दिल 
मेरी जान 
ये सब कुछ नाम तेरे हैं 
बता अब पीछे बचा क्या हैं ..??
पल 
कोई खास नहीं .......
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कोई  तुम  से  पूछे  कौन  हु  मैं 
तुम  कह  देना  कोई  खास  नहीं 
एक  दोस्त  है  कच्ची  पक्की  सी  
एक  जूठ  है  आधा  अधुरा सा 
एक  फूल  है  रुखा  सुख  सा 
एक  सपना  है  बिन  सोचा  सा 
एक अपना है अनदेखा सा
एक  रिश्ता  है  अंजना  सा 
हकीकत  मैं   अफसाना  सा 
कुछ  पगली  सी  कुछ  दिवानी  सी 
बस  एक  बहाना  अच्छा  सा
जीवन  की  ऐसी  संगिनी  है 
जो  संगिनी  हो  कर  भी  साथ  नहीं 
तू  कह  देना  कोई  खास  नहीं 
पल 
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