कितनी प्यारी
कितनी रंगीन
कांच की चूड़ी जैसे एक लड़की
तनहा बैठी अपने ही खयालो मैं गूम सी
जाने किस खयालो से झगडती ..
उस का हाथ कलाई पर था
और वो कुछ कुछ खौफजादा थी
सोचती हुए
के अब क्या होगा..?
मै भी उस के पास ही बैठा
पुछा कुछ डर कर
क्या किस्सा है ??
उस की आखें भीग गई..
और बोली सहेम कर
देखो मुझे
"जो तेरी सुंदर कांच की चूड़ी थी
वो टूट गई "
5 comments:
बहुत सुंदर रचना
अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.
Bahut Sunder ...sanvedansheel rachna
Sawai Shingh Rajpurohitji, Sanjay ji, Nellkamal ji, Monika ji.. aap sab ne meri rachna ko saraha...is ke liye bahot bahot dhanywad....
Palak
मार्मिक
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