Thursday, August 18, 2011

लगा चुनरी मैं दाग ...छुपाऊ कैसे .... ..!!!


कितनी प्यारी 
कितनी रंगीन 
कांच की चूड़ी जैसे एक लड़की 
तनहा बैठी अपने ही खयालो मैं गूम सी 
जाने किस खयालो से झगडती ..
उस का हाथ कलाई पर था 
और वो कुछ कुछ खौफजादा थी 
सोचती हुए 
के अब क्या होगा..?
मै भी उस के पास ही बैठा
पुछा कुछ डर कर 
क्या किस्सा  है  ??
उस की आखें भीग गई..
और बोली सहेम कर
देखो मुझे 
"जो तेरी सुंदर कांच की चूड़ी थी
वो टूट गई "



5 comments:

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत सुंदर रचना

संजय भास्‍कर said...

अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Bahut Sunder ...sanvedansheel rachna

Palak.p said...

Sawai Shingh Rajpurohitji, Sanjay ji, Nellkamal ji, Monika ji.. aap sab ne meri rachna ko saraha...is ke liye bahot bahot dhanywad....

Palak

Anonymous said...

मार्मिक