Saturday, December 25, 2010

तेरी याद के साथ ....!!!!!


एक और शाम ढल गयी,तेरी याद के साथ
ज़िन्दगी यु ही गुजर गयी,तेरी याद के साथ

एक आरज़ू थी… तुझे अपना बनाने की
वो चाहत भी मर गयी, तेरी याद के साथ

रुसवाइयों से ज्यादा तुने और क्या दिया मुझे
पर ये शिकायत भी बिसर गयी, तेरी याद के साथ

तेरी ख़ुशी थी अपनी…क्या ये गलत तो नहीं
वो ख़ुशी भी आखिर गयी, तेरी याद के साथ

जिंदा थे कभी तेरी याद के सहारे, मगर
ज़िन्दगी बेरुखी कर गयी, तेरी याद के साथ

5 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ...यह यादें ही हैं जो हर पल आती हैं ..


यहाँ आपका स्वागत है

गुननाम

Raj said...

Aapka kya kehna..sach me...aapne bahut sundar likha hai...palak

Shayad kisi ne theek hi kaha hai..."Tuj se to achhi teri yaadein....kam se kam saath to rehti hai!!!"

amul said...

जिनके लिए ये अहसास है हमारे ,
काश वो उन्हें समझ पाते ,
कैद है चेहरा इस कदर आँखों में ,
चाह कर भी हम किसी और को देख न पाते ,

न छू पायेगा कोई इस दिल में उनका घरोंदा ,
काश हम भी उनके दिल में थोड़ी सी जगह बना पाते ,
एक तरफ़ा मोहब्बत आखिर होती है क्यों ?
गर होता उनके साथ तो मेरे दर्द को जान पाते ,

जिन खुशियों में वो शामिल नहीं ,
हम उन पलो को अधूरा है पाते ,
उनकी एक दर्द की आह से भी ,
हम है तड़प से जाते ,

वो आयेंगे ज़िन्दगी में हमारी ,
हम बस उनकी राह तकते जाते ,
उन्हें भूलने की हर कोशिश करली ,
पर हर मोड़ पर खुद को नाकाम पाते ,

तोड़कर हर बंधन देख लिया ,
पर हम खुदको उनसे जुडा पाते ,
लिखने से हमें ऐतराज़ कहाँ ,
हम तो लिखते रहेंगे अपने दिल के सन्नाटे

संजय भास्‍कर said...

..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

संजय भास्‍कर said...

क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.