Tuesday, June 16, 2009

खामोशियाँ ..!



जज़्बात जितने भी हैं दिल में… मेरे ही जैसे हैं वोह बे-जुबान…

जो तुम से मैं कह ना पाई … कहती हैं वोह मेरी खामोशियाँ ...

पलक PG


2 comments:

Writer said...

मेरी खामोशियाँ सुनो तो सही. कहने को उससे मेरा कोई वास्ता नही, ऐ दिल मगर वो शख्स मुझे भूलता नही । डरता हूँ आँख खोलूँ तो मंज़र बदल ना जाये, मैं जाग तो रहा हूँ मगर जागता नही

!!अक्षय-मन!! said...

sundar bhav,........
aapka ek sher hi sab kuch keh gaya......