कौन कहता है वो मेरे बगैर तन्हा होगा
वो अक चिराग है कही और जलता होगा
वो अक चिराग है कही और जलता होगा
यह तो हम हैं एक सुकून सी जील
पर वो तो एक बिखरा हुआ एक दरिया होगा
वो तो रहता होगा बेखबर से जूनून मैं
उसे क्या खबर कोई उसे सोचता होगा
वो मेरे दर्द से बे खबर नहीं था मगर
उस दुःख बाटने का ना सलीका आता होगा
उस दुःख बाटने का ना सलीका आता होगा
इतना नादान नहीं के समाज भी ना सके
उसी का जिक्र मेरी हर ग़ज़ल मैं हुआ होगा
उसी का जिक्र मेरी हर ग़ज़ल मैं हुआ होगा
मैं ने उसे चाह तो चाहती ही गई
मेरी शिद्दतो से घबरा कर वो चल दिया होगा
3 comments:
दर्द से लबरेज़ ...सुन्दर अभिव्यक्ति
Palak aap ki rachna bahut sundar hai...kitni ghehra ehsaash hai is mein....
Shayad yah sachha pyaar hai jo "Humesha" rehta hai dil mein...chahe "Humdum" saath rahe ya na rahein....
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