अंधेरे रास्तों मैं यु तेरी आंखे चमकती हैं
खुदा की बरकतें जैसे पहाड़ों पर उतरती है
महोब्बत करने वाले जब कभी आंसू बहाते हैं
दिलों के आइने धोती हुए पलकें सवरती हैं
धुआं सी बदलिओं को देख कर अक्सर वो कहती है
हमेशा चांदनी मैं बेवफा रूहें भटकती है
हमारी जिन्दगी मैं फूल बनकर कोई आया था
उसी की याद मई अब तक ये फिजा महकती है
मुझे लगता है दिल खीच कर चला आता हैं हाथों पर
तुजे लिखू तो मेरी उगलियाँ ऐसे धड़कती हैं
तुजे लिखू तो मेरी उगलियाँ ऐसे धड़कती हैं
पलक ( PG )
1 comment:
Hi Palak!
Bahut khoob hai tumhari yeh panktiyan.....is par kuchh kahne ka mann karta hai....
Kyon door ho kar bhi
Koi dil ke paas rehta hai.
Dil ke paas ho kar bhi
Kyon us ka intezaar rehta hai!
....raaaj
Post a Comment