Wednesday, April 29, 2009

इन आंखों में खाब ....!


इन आंखों में खाब हैं...
कुछ सदियों से सोये नहीं...
किसीके ख्यालों में खोये हैं...
सिमट के भी बिखरे से हैं यह खाब
आंखों में दर्द छिपाए रखा है...
फ़िर भी यह आँखें रोई नहीं

पलक **PG**

3 comments:

amul said...

hi Pal,

Ab ansuon Ko Ankhon Mein Sajana Ho Ga !!
Charagh Bhuj Gaye Khud Ko Jalana Ho Ga !!

Na Samajhna Ke Tum Se Bicharh Ke Khush Hain !!
Humein Logon Ki Khatir Muskurana Ho Ga !!

Phir Sham Dhal Gayi Tum Aaye Na Aj Bhi !!
Dil Ko Aj Phir Umeedon Se Behlana Ho Ga !!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

रचना बहुत अच्छी लगी।कुछ हटकर.....
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।आप मेरे ब्लाग
पर आएं,आप को यकीनन अच्छा लगेगा।

हर सप्ताह रविवार को तीनों ब्लागों पर नई रचनाएं डाल रहा हूँ। हरेक पर आप के टिप्प्णी का इन्तज़ार है....
मुझे यकीन है आप के आने का...और यदि एक बार आप का आगमन हुआ फ़िर....

raaaj said...

Hmmm…bilkul sahi hai…ishq aur dewaangi ki keemat hi sukoon aur chain hai…aur phir dil ke toot ne ke baad
sukoon milta hai roone me…..