Wednesday, August 29, 2018

रिश्ता नहीं है, दोनों को फिर भी, बाँधे कोई डोर है,
इस दोस्ती को क्या नाम दे हम, ये बात कुछ और है ...

प्यार चाहे पहला हो या आखरी हो, बाली उम्र का हो या परिपक्वता के मुकाम पर, लेकिन कुछ एहसास उस दौर के गानों से ही ज्यादा आतें हैं जिस दौर में हमने ये इश्क़ मोहब्बत वालें जज़्बातों को जीने के शुरुआत की थीं कभी..

समय बीतता जाता है, उम्र बढ़ती जाती है, साथ साथ किसी के बालों में सफेदी, किसी के सर पर बाल की ही कमी, किसी की हसीन त्वचा पर झुर्रियां, किसी की आंखों के नीचे डार्क सर्कलस तॉ किसी का वजन बढ़ना घटना जैसे बदलाव आते जाते हैं.. लेकिन, फिर भी जो हमेशा जवाँ रहना चाहता है वो है उसका दिल.. और जैसे ही कोई उसकी दहेलीज़ पर कदम रखता है तो वो फिर से वही दौर को जीना चाहता है..

जाने क्यों लगता है मेरी तुम्हारी, पहले से पहचान है..❤

-YJ

Saturday, August 18, 2018

आज वो सूखा गुलाब दिखा,

उस डायरी के पीले पन्नों में।

याद है? तुमने कहा था

जब आओगे तब नज़र भर देखेंगे उन्हें,

आज वो पन्ने बिखर रहे हैं,

अक्षरों की स्याही घुल रही है वक़्त में,

लेकिन तुम्हारे आने का इंतजार आज भी है।

हर आने वाले खत पर लगता है,

ज़रूर बर्फीली पहाड़ियों से तुमने भेजी होंगी,

दरवाज़े की हर खट-खट पर लगता है,

तुम खड़े होगे,

मेरे मनपसंद फूल लिए

वो कहते हैं ना

सुकून मिलता है उम्मीद में,

सामने एक मढ़। हुआ मेडल रखा है

और तुम्हारी वर्दी भी,

एक बार आकर देख तो जाओ

कितने करीने से संजोई है तुम्हारी हर एक याद,

मगर जानती हूं कभी लौटोगे नहीं तुम...हमेशा के लिए जो अकेला कर गए हो।