Sunday, December 24, 2017

आईने में खड़े होकर देखा मैंने,

मुझमें सिर्फ़ तेरा ही अक़्स दिखा...!!!

1 comment:

गोपालकृष्ण said...

लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती ...

हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है