Friday, April 3, 2015

 एक कदम ...उम्र भर का 
एक वादा ...आखरी पल तक का 
एक खुशी ....उसके हो जाने कि ..
 
 
वो मेरी आखरी सरहद हो जैसे 
सोच जाती हि नहि उन से आगे 
 

3 comments:

गोपालकृष्ण said...

एक कदम....
एक वादा...
एक खुशी...
वो सरहद...
....जाती नही उसके आगे.....

लगा जेसे पुरी जिंदगी तुमसे तुम तक....

गोपालकृष्ण said...

पलकजी....आपकी हर एक रचना अनमोल है...लब्ज काफी नही उसका मोल कर पाये...बस मेहसुस करो तो लगे जेसे खुद के लिये.....

संजय भास्‍कर said...

रचना अनमोल है