आज एक पुरानी याद से अचानक सामना हो गया
ना जाने क्यु उस खत को देखकर रो पडे ..
उस खत मे जो अजाब् था..
कुछ सुखे हुए गुलाब थे ...
कुछ सवाल थे ..
कुछ जवाब थे ...
कही हसी थी ..
कही दर्द था ...
कही जूठा गुस्सा ..
तो कही बेबाक महोब्बत के इकरार थे ..
उस खत कि सिहायि का रंग
आज भी सुर्ख लाल था...
उस खत के हर कोने पर ..
महोब्बत के निशान थे...
वो खत हमारी महोब्बत के गवाह थे ....
1 comment:
हर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें
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