हम अक्सर यह समझते हैं
जिसे हम प्यार करते है
उसे हम भूल बैठे हैं
मगर ऐसा नहीं होता
मोहब्बत धीमी आग है
महोब्बत ठहर जाती है !!!
जिसे हम प्यार करते है
उसे हम भूल बैठे हैं
मगर ऐसा नहीं होता
मोहब्बत धीमी आग है
महोब्बत ठहर जाती है !!!
हमारी रूह मै कही
मोहब्बत बैठ जाती है
भूलना चाहते है
मगर यह कम नहीं होती
किसी भी दुःख की सूरत में
कभी कोई ज़रुरत में
कभी अनजान से ग़म में
कभी लहजे की ठंडक में
उदासी की ज़रुरत में
कभी बारिश की सूरत में
हमारी आँख की नमी मै
मोहब्बत बैठ जाती है
भूलना चाहते है
मगर यह कम नहीं होती
किसी भी दुःख की सूरत में
कभी कोई ज़रुरत में
कभी अनजान से ग़म में
कभी लहजे की ठंडक में
उदासी की ज़रुरत में
कभी बारिश की सूरत में
हमारी आँख की नमी मै
कभी सपनो की किरच मै
कभी कतरे की सूरत में
वो आ ही जाती है
कभी ऐसा लगता है
उसे हम भूल बैठे हैं
मगर ऐसा नहीं होता ...
मगर ऐसा नहीं होता....
यह हरगिज़ कम नहीं होती...
महोब्बत ठहर जाती ....
उसे हम भूल बैठे हैं
मगर ऐसा नहीं होता ...
मगर ऐसा नहीं होता....
यह हरगिज़ कम नहीं होती...
महोब्बत ठहर जाती ....
16 comments:
सुन्दर एहसासों से रची सुन्दर रचना
सुन्दर एहसासों से रची सुन्दर रचना| धन्यवाद|
मोहब्बत ठहर जाती है...कविता को पढ़ते समय मन भी ठहर गया था, ना जाने शब्दों में क्या तलाश कर रहा था, ना जाने क्यों दूसरे की परछांई में किसी अनेय का चेहरा तलाश कर रहा था।
मोहब्बत ठहर जाती है...कविता को पढ़ते समय मन भी ठहर गया था, ना जाने शब्दों में क्या तलाश कर रहा था, ना जाने क्यों दूसरे की परछांई में किसी अनेय का चेहरा तलाश कर रहा था।
मुहब्बत को कविता में परिभाषित किया है आपने. वाह वाह.
wah....haan ekdam theek likhi hain.
वाह्…………मोहब्बत ठहर जाती है
हर अहसास मे
छुपी होती है
खुश्बू की तरह
बस नेह का
ज़रा सा मेह मिले
तो मोहब्बत महक जाती है
सच है मुहब्बत तो दूर दूर तक रूह में जम जाती है ... इसके बाद सिर्फ एहसास ही रह जाता है ... मीठा एहसास ....
सुन्दर अहसासों से परिपूर्ण बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
महोब्बत ठहर जाती ...
मगर यह हरगिज़ कम नहीं होती...
maine kahta hoon is dil ko dil main basa lo...
wo kahte hai mujhe nigahe mil lo...
niganho maloom kya dil ki halat ...
niganho niganho main kya baat hogi...
hamari ruh main kahi mohabat baith jati hai...bahut sundar likha hai..palak...,HAPY WOMEN'S DAY to u......,,,TERE HOSALO KI KYA MISAL DU.....JAB KHUD MAIN HI BEMISAL HO TUM...GAR HAUSLE LE SAKTE INSANI RUP...TOU YAKINAN VO APKI TARAH DIKHTE...
Praveen.
100% sahmat hun aapki rachna me kahi gayi baat se. sunderta se dhaala hai ehsaason ko.
कभी बारिश की सूरत में
हमारी आँख की नमी मै
कभी सपनो की किरच मै कभी कतरे की सूरत मेंवो आ ही जाती है
बहुत भावना प्रधान रचना -
दिल की सच्चाई बयां करती हुई .
सुन्दर
Palak...
bahut achhi rachna hai aapki....jise hum pyaar karte hai..uske saath hum apane "sapane" bhi boon lete hai....to jo aapne likha hai woh sach hai....akshar eisa hi hota hoga has kisi ke saath......kuchh ise keh paate hai...kuchh sirf mehsoos kar paatein hai...to kuchh use "kavita" mein dhaal ne ki 'Khoobi" rakhte hai....
bahut sundar rachna.....sach mein...
सुंदर अहसास लिए प्रेमपगी पंक्तियाँ..... बहुत सुंदर
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