Wednesday, January 19, 2011

डर लगता है..!!


ना चाहो इतना हमें चाहतो से डर लगता है
ना आओ करीब इतना के जुदाई से डर लगता है
सुना है मोहब्बत क़ुरबानी मांगती है
क़ुरबानी देने से अब डर लगता है
तुम्हारी वफाओं पर यकीन है
अपनी जात से डर लगता है
सोचा ना थी किसी को इतना चाहेंगे
अब तो अपनी सोचो से भी डर लगता है

5 comments:

संजय भास्‍कर said...

यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.

संजय भास्‍कर said...

सोचा ना थी किसी को इतना चाहेंगे
अब तो अपनी सोचो से भी डर लगता है
........बिल्कुल सही कहा है आपने।

Raj said...

"Wow!" is rachna ki picure dekh kar ye muh se nikal gaya....

upar se jo bhavnayein hai is chhoti si rachna mein..kya kehna....sach mein bahut pyaara likhti ho aap palak.....

नीरज गोस्वामी said...

बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति....बधाई स्वीकारें...
नीरज

दिगम्बर नासवा said...

सोचा ना थी किसी को इतना चाहेंगे
अब तो अपनी सोचो से भी डर लगता है

बहुत ही भावपूर्ण रचना ... दिल के जज्बात लिखे हिं ..... बधाई ....