आरजू है की ...
मेरी मुठी मैं समेटे सपनो को सच्ची बना देना
मेरी आखों की नमी को खुशियों का अंजाम देना
मेरी एक हसी के लिए सारी हदें पार कर देना
मेरी खामोशी को भी तुम जुबा देना
ऐ जिन्दगी तुज से अब और क्या मांगे
बस उनके नाम की ये लकीर
सदा यूँही मेरे हाथों मैं रहे
लम्हातो की दुनिया यु ही महकती रहे
और जिन्दगी के मायने ऐसे ही बने रहे ..
बस ये आरजू है मेरी.. पलक
3 comments:
ऐ जिन्दगी तुज से अब और क्या मांगे
बस उनके नाम की ये लकीर
सदा यूँही मेरे हाथों मैं रहे
Pearl...
Hi Pal,
its great poem!!
"If I know what love is, it is because of you".
tumhari duaa kabool ho.aameen...
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